Author : Dr. Kailash Chand Sharma 'shanki'
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 110 Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 225
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‘‘विश्व के अम्बर नीचे दयालु हाथों का सहारा ना छूटे। पाता रहँू ज्ञान मैं, ज्ञान का यह सितारा ना टूटे।’’ प्रस्तुत उपन्यास एक ऐसे इन्सान की जीवनी का कथानक है जिसने जिन्दगी के सभी रिश्तों और संबंधों को सहृदयता एवं निश्छलता से निभाया है। ‘दयाल’ नाम के उस व्यक्ति ने इस समाज को बहुत कुछ संस्कारों के साथ अपनी संस्कृति को नयी दिशा प्रदान की मगर वह अपने साथ क्या रख पाया। उसने तो पं0 फूलचन्द शर्मा ‘निडर’ जैसे पवित्र आत्मा वाले इन्सानों के संसर्ग में रहकर समाज को कुछ देना ही सीखा था, लेना नहीं। कौत्सव को गर्व था अपने पिताजी के आदर्शाें एवं सिद्वान्तों पर और उनका पुत्र होने पर। परन्तु उनकी विदाई के दर्द की पीड़ा को सहन करना बड़ा ही मुश्किल हो रहा था। जिसे उसने समय और पेशेंस के हाथों सौंप दिया था। जीवन में अपने पिता की बनाई हुई उन राहों पर बढ़ने का निर्णय कर लिया था जो सामाजिक परम्पराओं को सात्विकता से निभाकर समाज को नयी सजगता और चेतना प्रदान कराने वाली पीढ़ियों को रिश्ते-नाते और संबंधों को आशानुरूप निभाने का संकल्प उत्पन्न करें। वास्तव में आवश्यकता की पूर्ति के संबंध को विवेक एवं विश्वास से जीने वाले इन्सान की जिन्दगी की कार्यशैली का रिफ्लेक्शन आज भी समाज में सहयोगी साधना के रूप में देखा जा सकता है जो श्रद्धा और विश्वास के साथ मानवीय आचरणों को जोड़ता है। ................ और इस बात को भी असत्य प्रमाणित करता है कि जो माता-पिता अपनी सन्तान के लिए कुछ नहीं करते तो बदले में उनकी सन्तान भी बुढ़ापे में उनसे उसी तरह किनारा कर उनके द्वारा किए गए व्यवहार की पुनरावृत्ति करती है।..........
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 93-84236-93-4 |
Number of Pages | 110 |
Publication Year | 2015 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-84236-93-9 |
Binding | Hardcover |
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