Uttkarsh Prakashan

Kone Kone Se


Kone Kone Se

Kone Kone Se(Paperback)

Author : Dr. Kailash Chand Sharma 'shanki'
Publisher : Uttkarsh Prakashan

Length : 80Page
Language : Hindi

List Price: Rs. 150

Discount Price Rs. 120

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मानव जीवन बड़ा ही खूबसूरत होता है। क्योंकि उसमें छिपाने पर भी कुछ नहीं छिपता, मनुष्य चाहे उसे छिपाने का कितना ही प्रयास क्यों न कर ले। इस मामले में उसकी कोई भी चालाकी, योजना और शर्त सफल नहीं हो सकती। देखा जाए तो जिन्दगी जितनी खुली किताब की भांति है उतनी ही रहस्यात्मक भी है। कभी-कभी तो उसको समझने के लिए उसकी आवश्यकता से व्याख्या की जरुरत हो जाती है और कभी-कभी वह जीवन की एक छोटी सी घटना के संकेत से ही समझ में आ जाती है। यही बात उसके साहित्यिक स्वरूप पर लागू होती है। कभी-कभी तो साहित्यकार को अपनी रचना को व्यापक रूप में रचना पड़ता है जिसकी विधाएं कुछ भी हो सकती है जैसे उपन्यास, कहानी, निबन्ध, नाटक, एकांकी, संस्मरण, यात्रा वृतान्त, दैनन्दिनी आदि। रचनाकार के कथानक की स्पष्टता उनसे भी समझ नहीं आती और कभी-कभी छोटी सी कथा कुछ पंक्तियों में ही वह सब कुछ समझाने में सफल हो जाती है जो कुछ वह समझाना चाहता है। इसी को कहते हैं- ‘बुद्धिमान को एक इशारा ही काफी है।’ निःसन्देह यह युवित्त कहें अथवा सुवित्त ‘लघुकथा’ पर पूर्णतया चरितार्थ होती है क्योंकि वह अपने आशय को लघुता में ही व्यापकता को प्रकट कर देती है। आज इस व्यस्त दौर में पाठक भी व्याख्यात्मक साहित्य के पढ़ने में बहुत ही कम दिलचस्पी लेता प्रतीत हो रहा है। सभी तो इतने व्यस्त हो गए हैं कि उनको केवल अपना कार्य और समय की कमी ही दृष्टिगोचर होती है। आज मानव को लगता है कि जैसे उनके समक्ष वक्त बहुत कम है और उन्हें जो कुछ करना अथवा पाना है वह बहुत अधिक है। बहुत से लोग तो ऐसे हैं जिनके पास न कोई लक्ष्य है और न ही कोई काम फिर भी उनके पास वक्त की कमी है। इसलिए थोड़े में बहुत पाने की तीव्र लालसा मानव मात्र को किसी सार्थक उद्देश्य की प्राप्ति न करा कर उसे केवल उसके अपने ही मोह जाल में फंसाकर भ्रमित एवं गुमराह कर रही है। अतः उसे सांकेतिक भाषा में ही समझाना आवश्यक हो गया है। वह प्रत्येक बीमारी का उपचार केवल एक टेबलेट या कैप्सूल के प्रयोग से ही चाहने का इच्छुक हो गया है। यही कारण है कि आज वह लघु कथाओं को ही दिलचस्पी से पढ़ने में रूचि रखता है जो उसे थोड़े में बहुत समझा देती है जिससे उसके काफी समय और धन की बचत हो जाती है। यही मुख्य कारण है लघु कथाओं को काफी लोकप्रिय बनाया गया है। इसलिए लघु कथाओं को लिखने की मेरी भी तमन्ना रहती है। उसके फलस्वरूप मेरा यह दूसरा लघु कथा संग्रह ‘कोने-कोने से’ के रूप में साकार हुआ। अन्त में प्रबुद्ध एवं विवेकशील पाठकों के सकारात्मक सुझावों एवं उनके मार्गदर्शन की अपेक्षा की प्रतीक्षा में।

Specifications of Kone Kone Se (Paperback)

BOOK DETAILS

PublisherUttkarsh Prakashan
ISBN-1093-84312-00-2
Number of Pages80
Publication Year2015
LanguageHindi
ISBN-13978-93-84312-00-8
BindingPaperback

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