Author : Sampurnanand Dubey
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 72Page
Language : Hindi
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कमोठे की वह धरती जहां से शिवाजी ने अल्प वय में ही मावल वीरों के संग मिलकर अपने पहले दुर्ग कोंड़ना को जीता था, जिसका बाद में नाम रायगढ़ रखा, वहां पहुंचने का सौभाग्य मिला एक और सौभाग्य कि मेरे भ्राता वहीं स्थित एक वृन्दावन सोसाईटी द्वारा निर्मित आवास में निवास करते हैं, से वीर शिवाजी के बारे में उनके काव्य की शुरूआत करते हुए शौर्य-गाथा लिखा यथा ‘‘कर कमोठे की धरा से’’ और मात्र कुछ ही समय में पूरा शौर्य-गाथा लिख डाला। तत्पश्चात मन में यह जिज्ञासा जगी कि क्यों न एक शिवाजी पर साहित्य लिखा जाये और वहीं सूक्ष्म जिज्ञासा एक होते हुए आज स्थूल रूप में आपके हाथ में है, अपने प्रदेश, जिले, विद्यालय में आने पर उन शब्दों में जानिये पंख लग गये, और शब्दों का काफिला आगे चल निकला। साथ में कार्य करने वाले विद्वजनों ने सुनकर और भी मुझे प्रोत्साहन दिया, जिससे मैं प्रोत्साहित होकर यह कार्य अपने मुकाम तक पहुंचाने की सफलता हासिल कर पाया। फिर एक विचार आया कि इतने बड़े कार्य के लिए मद कहां से आ पायेगा, अन्ततः उसकी भी समस्या समाप्त हो गयी, और हमने अपने शब्दोचित याचना से यह भी बांध पार कर ली। अन्ततः सफलता सफलीभूत हो गयी, और यह ग्रंथ छप गया।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-431266-5 |
Number of Pages | 72 |
Publication Year | 2016 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-84312-66-4 |
Binding | hardcover |
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