Author : Karulal Jamda
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 96Page
Language : Hindi
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संग्रह के सभी आलेख उच्च कोटि के हैं। ‘व्यक्तित्व को प्रकट करता है वार्तालाप’ आलेख में एक अच्छे वार्तालाप के गुणों व खूबियों को भली-भांति रेखांकित किया गया है। ‘जब कोई आपकी आलोचना करे’ में लिखा है कि आलोचनाएं व्यक्ति को तराने का कार्य करती हैं इनसे वह कंुदन की भांति उभर कर सामने आता है, सटीक व प्रासंगिक है। ‘वरदान भी हो सकती है, विपरीत परिस्थितियां’ आलेख में प्रेरक संदेश दिया है, कि नकारात्मक परिस्थितियां भी वरदान सिद्ध हो सकती हैं। यदि उनका एक चुनौती समझकर दृढ़-निश्चय के साथ सामना किया जाए। ‘ईष्र्या नहीं स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करें’ लेख की पंक्ति हमें अपना दिमाग खुला रहकर अपना चिन्तन स्पष्ट सूत्रबद्ध और पूर्वाग्रहों से मुक्त रखें, सटीक भाषा से युक्त है। ‘सोचते ही न रहें, करें भी’ लेख में चाल्र्स किंग्सले व भर्तृहरि के नीति जातक के दृष्टांतों का सूत्रबद्ध वर्णन किया गया है। ‘सुगठित शरीर ही नहीं है, अच्छे व्यक्तित्व की कसौटी’ लेख में, भौतिकवाद की मृगतृष्णा के पीछे भागते युवा को मूल संस्कारों एवं व्यक्तित्व के सही मायने सिखाये गये हंै। ‘अंकों की बिसात पर नहीं चलती सफलता की चाल’ के अतिरिक्त ‘उखाड़ फेंकिए पूर्वाग्रहों को’ आलेख में विश्वास की मृगतृष्णा को त्याग विचार की चिंगारी जलाने व पूर्णाग्रहों और भ्रांतियों को उखाड़ फेंककर सफलता के लिए प्रयत्नशील रहने का प्रेरक संदेश दिया गया है। ‘चिन्ता छोड़िये चिन्तन कीजिए’ में अपनी बुद्धि को सूत्रबद्ध तार्किक और स्पष्ट चिन्तन की ओर मोड़ने की प्रेरणा दी गई है। ‘लक्ष्य निर्धारण’, कर्मयोग, ‘व्यक्तित्व निर्माण की आधारशिला सद्साहित्य,’ ‘तरक्की का आसान मंत्र प्रयास करो, सफलता पाओ जैसे अनगिनत आलेख श्री जमड़ा के सुदृढ़, संस्कारित व संवेदनशील सृजनात्मक पक्ष को प्रतिबिम्बित करते हैं।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-431270-3 |
Number of Pages | 96 |
Publication Year | 2016 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-9-38-431270-1 |
Binding | Paperback |
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