Author : Dr. Shivpal Singh
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 304Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 500
Selling Price
(Free delivery)
संसार में मनुष्य सुख समृद्धि चाहता है और उसके हेतु सतत् प्रयत्नशील रहता है । यद्यपि शिक्षाविद्ों ने योगाभ्यास तपस्या आदि सुख-प्राप्ति के अनेक साधन बतलाये हैं तथापि नैतिकता और शान्ति का जीवन में मुख्य भूमिका के रूप में निर्वहन होता है । वर्तमान में भौतिक दृष्टिकोण से शान्ति की सम्भावना समाप्त हो जाने पर मानव स्वयं को असहज महसूस करता है। चिन्तनशील मानव ने एकान्तिक एवं अत्यान्तिक शान्ति निमित्त जिस शास्त्र की कल्पना की वही शान्ति शास्त्र कहलाता है । भारतवर्ष में शिक्षाविद् प्राचीनतम वाड़मय-ऋग्वेद से ही इस दार्शनिक चिन्तन का प्रारम्भ रूपष्ट रूप में देखने को मिलता है । संसार का प्रत्येक जीव स्वभावतः सुख की प्राप्ति तथा दुःख की निवृत्ति चाहता है । नैतिकता और वैश्विक शान्ति के लिए मूल्य शिक्षा हमारे जीवन का अमूल्य पहलू है । शिक्षाविद्ों का मानना है कि शान्ति और नैतिकता आत्म-साक्षात्कार से ही सम्भव है । संसार में प्राणी जन्म लेने के साथ ही सुख-दुःख से ग्रस्त हो जाता है । आज सम्पूर्ण विश्व शान्ति की सम्भावना तलाश रहा है । विश्व में प्रतिदिन शान्ति की सम्भावना समाप्त होती जा रही है । मानव भौतिकवादी दौड़ में संयम, नैतिकता, शान्ति, सत्यता आदि से परे होता जा रहा है । भारत सरकार ने शान्ति शिक्षा संवर्धन हेतु 2005 में एन.एफ. में शान्ति शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल कर दिया है । सामाजिक, सांस्कृतिक विविधता एवं शान्ति शिक्षा नैतिकता एवं मूल्य सतत् विकास का एक और महत्वपूर्ण आदर्श है । शान्ति और विद्या दोनों एक दूसरे की पूरक हैं । वर्तमान में शिक्षाविद् विद्या और शान्ति को समान रूप से मानते हैं ।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9789384312251 |
Number of Pages | 304 |
Publication Year | 2016 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 9789384312251 |
Binding | Paperback |
© Copyrights 2013-2025. All Rights Reserved Uttkarsh Prakashan
Designed By: Uttkarsh Prakashan