Author : Noor Muradabadi
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 48Page
Language : Hindi
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पृथ्वी पर आते ही सबको सुखी, समृद्ध व शीतल कर दुःखों से मुक्त करने के लिए मृत्यु, पाताल व स्वर्गलोकों से होती हुई (त्रिपथगा) पुनः सागर में जाकर मिलने को तत्पर एक विलक्षण अमृत प्रवाह है गंगा । गंगा की स्मृति छाया में सिर्फ लहलहाते खेत ही नहीं, बल्कि वाल्मीकि का काव्य, बुद्ध, महावीर के विहार, अशोक, हर्ष जैसे सम्राटों का पराक्रम तथा तुलसी, कबीर, मीरा और नानक की गुरुवाणी आदि सभी के चित्र अंकित हैं । गंगा किसी धर्म, जाति या वर्ग विशेष की नहीं, अपितु संपूर्ण जीवजगत के लिए जीवन दायिनी है । जो धारा अयोध्या के राजा सगर के शापित पुत्रों को पुनर्जीवित करने राजा दिलीप के पुत्र, अंशुमान के पौत्र और श्रुत के पिता राजा भगीरथ के तप से इस पृथ्वी पर आयी, वह भागीरथी के नाम से प्रतिष्ठित है। गंगा पृथ्वी पर ज्येष्ठ मास, शुक्लपक्ष, मंगलवार, दशमी तिथि को अवतरित हुई । इस पुस्तक में लेखक ने गंगा मां की महत्ता का वर्णन सुपाठ्य सहज भाषा शैली मैं बड़े ही रोचक अंदाज में किया है जो पाठकों को अवश्य ही पसंद आएगा...विद्वान लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति हैं और अभी तक दो दर्जन से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं जो प्रकाशित होकर पाठकों को ज्ञान देती हुई उनका मनोरंजन भी कर रही हैं ...
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-431235-5 |
Number of Pages | 48 |
Publication Year | 2016 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-9-38-431235-0 |
Binding | Paperback |
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