Author : Kailash Jha Kinkar
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 52Page
Language : Hindi
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कवि कैलाश झा ‘किंकर’ का समीक्षित काव्य संग्रह ‘जानै जौ कि जानै जाता’ में संकलित सभी कविताएं विविध रंग और विविध ढंग की है। किन्तु सभी अंगिका में लिखी गई हैं। कविताओं का प्रतिपाद चाहे ग़ज़ल रूप में हो अथवा गीत अथवा मुकरी या कवित्त किन्तु सभी कविताओं का उद्देश्य समकालीन युगचेतना को उजागर करना ही है। इन कविताओं में आज की ही आस्था नहीं है अपितु जिन विद्रूपताओं और अंतः विरोधों से हमारा सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवेश गुजर रहा है निश्चय ही कवि के लिए यह चिंता का विषय है। साम्प्रदायिकता, क्षेत्रीयता, भाषा विवाद, बाजारवाद, उदारीकरण और वैश्वीकरण से प्रतिफलित जो मूल्यों का प्रतिस्थापन हो रहा है, इन स्थितियों में चाहे वह जनपदीय कवि हो या किसी भाषा का उनका आहात होना और चेतावनी के स्वर में आवाज उठाना गलत नहीं है। इन कविताओं में यही सबकुछ है।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 8-19-216664-3 |
Number of Pages | 52 |
Publication Year | 2017 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-8-19-216664-3 |
Binding | Paperback |
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