Author : Dr. Ishwar Chand Gambhir
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 124Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 150
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(गीत, ग़ज़ल, दोहे, मुक्तक का अनूठा काव्य संग्रह) सिमटता जा रहा सद्भाव, बिखरते जा रहे रिश्ते, लुप्त होते संस्कार, मरती परम्परायें, सिसकती मर्यादायें और बढ़ती भीड़ का कारण भले ही आबादी हो लेकिन जब बात पाप, पाखंड, अंधविश्वास, विसंगतियों, कुरीतियों की आती है तो समाज में फैले मतभेद, भेदभाव, ऊंच-नीच, शोषण दमन के वातावरण में एक ऐसा जघन्य अपराध सामने आता है जिसे हम भ्रूण हत्या कहते हैं। सारा संसार ये जानता है कि बिना नारी के समाज, परिवार, राष्ट्र की संरचना असम्भव है और संतुलन धरती का हो, लिंग का हो या आर्थिक हो अगर बिगड़ता है तो निश्चित ही प्राकृतिक आपदायें अथवा सामाजिक अव्यवस्थायें, अपराध बढ़ जाते हैं। जब बेटी नहीं होगी तो बेटे कहाँ से आयेंगे। दुल्हन नहीं होंगी तो शादियाँ कैसे होंगी, अन्ततः ये संसार बिना नारी के चल पायेगा नहीं। इसके लिये बेटी को गर्भ हत्या से बचाना होगा। उसे पढ़ाना होगा तभी कल का भारत सुनिश्चित होगा। मैंने जब बेटी के गिरते अनुपात पर चिन्ता जताते प्रधानमंत्री जी तथा देश के सैकड़ों संगठनों को सड़कों पर जागरुक करते देखा तो मैंने भी इस यज्ञ में अपनी आहूति डालने का निर्णय लिया। जैसा कि सर्वविदित हैं कि पद्य (कविता) के माध्यम से भले कवि को लिखना कठिन हो पर समाज में कविता को बड़े चाव से सुना जाता है। कविता सशक्त माध्यम है एक साथ करोड़ों लोगों तक पहंँचने का, क्योंकि मैं भी अनेक संगठनों में जाता रहता हूँ चाहे वो सुरभि परिवार हो या कोई बेटी बचाओ संगठन। इस पुस्तक में मैंने गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे जैसी विधाओं द्वारा नारी का महत्व, बेटी की आवश्यकता, रक्षा, सुरक्षा, शिक्षा, पर जोर देकर मानव मन को झकझोरने का प्रयास किया है, मैं कहां तक इसमें सफल रहा हूँ पुस्तक आपके हाथ में है कुछ अच्छा लगे तो आशीष और प्रतिक्रिया दें।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 978-93-84236-38-1 |
Number of Pages | 124 |
Publication Year | 2016 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-84236-38-1 |
Binding | Paperback |
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