Uttkarsh Prakashan

Gehraiyan


Gehraiyan

Gehraiyan(Paperback)

Author : Aashish Kumar Mehta
Publisher : Uttkarsh Prakashan

Length : 96Page
Language : Hindi

List Price: Rs. 100

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इस काव्य-संग्रह में कवि ने अपने हृदय के उदद्गारों को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है। माँ की ममता का सजीव चित्र ‘मेरी माँ’ कविता के माध्यम से हमारी आँखों के सामने आ जाता है, जिसमें बताया है कि माँ कैसे स्वयं दुःख-दर्द छिपा कर अपने बच्चे के लिए प्रत्येक सुख-सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास करती है। स्वयं मोम की तरह पिघल कर अपने बच्चे की जिन्दगी को रोशन करती है। कवि को अफसोस है कि सन्तान अपनी माँ को चाहे कितना ही दुःख पहुँचाए फिर भी माँ के मुखारविन्द से आशीर्वाद ही निकलता है। ‘ना करो माँ का अपमान’ कविता स्पष्ट करती है कि माँ का अपमान करने वाले कितनी ही पाठ-पूजा, धर्म-कर्म कर ले, सब व्यर्थ है। संसार में नैसर्गिक प्रेम की कमी है इसलिए जो धोखा देकर छोड़ कर चले जाएं उनके लिए व्यर्थ ही आँसू नहीं बहाने चाहिए। इसी भाव को ‘रोना क्यों’ कविता में प्रकट करते हुए कहा है कि ऐसे जीना चाहिए कि उसे भी छोड़ने के दुःख का अहसास हो। परंतु ‘यादें’ कविता में प्रकट भाव की तरह यादें तो हमेशा बनी ही रहती हैं। ‘थैले का बोझ’ कविता में छोटे-छोटे बच्चों के कन्धों पर भारी-भरकम बस्ते का बोझ का चित्रण बड़ा मार्मिक है। ‘शहर या गाँव’ कविता में नगरों में दूषित हो रहे पर्यावरण पर चिन्ता प्रकट की गई है जिससे लोग कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त हो गए हैं इसलिए उनका काफी धन दवाओं पर खर्च हो रहा है। ‘गलती का आरोप’ कविता में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है कि कैसे मानव अपनी गलती को दूसरों पर थोपने का प्रयास करते हैं। अंत में ‘वाह रे ऊपर वाले’ कविता के माध्यम से कवि ने बताया है कि एक व्यकित अमीर है परंतु रोगों से ग्रस्त है उसे भोजन हजम नहीं होता, दूसरी तरफ एक व्यक्ति है इतना निर्धन है कि उसे गरीबी के कारण रोटी नसीब नहीं होती।

Specifications of Gehraiyan (Paperback)

BOOK DETAILS

PublisherUttkarsh Prakashan
ISBN-109-38-423687-X
Number of Pages96
Publication Year2015
LanguageHindi
ISBN-13978-9-38-423687-8
BindingPaperback

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