Author : Adarshini Shrivastav
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 96Page
Language : Hindi
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व्यक्तिगत अनुभूतियों के अतिरिक्त जीवन के सामाजिक पक्ष पर आधारित रचनाएँ भी अपने अनूठे अंदाज़ में इस संग्रह में सुशोभित हैं, जिनमें गहन संवेदनाएँ सहज रूप से व्यक्त हुई है । मिली-जुली भावुकता व कँटीली बौद्धिकता से बहुत दूर विषमताओं, विडम्बनाओं, खंडित होते संबंधों पर आधारित रचनाओं में नवगीत के रंग नहीं, बल्कि उनके सूक्ष्म शेड्स की प्रभावशाली प्रस्तुति हुई है, जो संग्रह में मार्मिक छटा बिखेर रहे हैं । ग्रामीण गीत, मन का पुर्जा मौन हो गया, गर्म रेत पर पड़ी मछलियाँ, हमको मम्मी ही भाया, नवगीत के स्वयं साक्षी रूप हैं। अन्य उत्कृष्ट रचनाओं में नाद और झंकार, अश्वमेघ का अश्व हो जैसे, टकराए कुछ लोग, है समझ से भी परे, तुम इसे मत तोल लेना, रचने दो संसार हमारा के साथ ही बिटिया रानी व माँ जैसी विशेष हृदयस्पर्शी रचनाएँ भावुक मन को सम्मोहित करती हैं
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-728931-1 |
Number of Pages | 96 |
Publication Year | 2017 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-87289-31-4 |
Binding | hard cover |
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