Uttkarsh Prakashan

Surbala


Surbala

Surbala(hard cover)

Author : Pramod Mundhara
Publisher : Uttkarsh Prakashan

Length : 132Page
Language : Hindi

List Price: Rs. 250

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क्या कभी ऐसा भी हुआ है, या ऐसा कब हुआ है .. कि आप बिना किसी कारण के प्रसन्न हुए, आनंदित हुए ! अकारण.. अनायास.. कोई उल्लास आपके अंदर उमगा.. और आप आनंद में डूब गए.. मस्ती छा गयी ! एक छोटा सा बच्चा भी.. अपनी प्रसन्नता में खिला रहता है फूल की तरह, पंछी अपनी मस्ती में गाते और चहचहाते रहते हैं..अकारण ! वो अपने अंदर के आनंद के केंद्र से जुड़े रहते हैं ! पर मनुष्य बाहर की दौड़ में इतना उलझ गया है कि उसको अपने अंतस के केंद्र का विस्मरण हो गया है ! देखें एक वृक्ष को..वो जितना गहरा अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है..उतना ही अधिक वो हरा और आकाश की ओर उठा रहता है ! और वृक्ष यदि जड़ों से अलग हो जाये..तो उस पर बाहर से कितना ही पानी डालें..उसका जीवंत और हरा होना असंभव हो जाता है ! मनुष्य भी अपने भीतर के केंद्र से जुड़ कर ही खिल सकता है .. आनंदित रह सकता है ! भीतर आनंद के केंद्र से जुड़ कर ही उसकी रसधार से जीवन में सहज आनंद और प्रसन्नता के फूल खिल सकते हैं ! जितना गहरा स्वयं की जड़ों से .. आत्म केंद्र से जुड़ाव होगा .. उतना ही मनुष्य के जीवन का वृक्ष सरस और हरा होगा .. अन्यथा संसार की तेज धूप और हवाओं में उसका कुम्हला जाना निश्चित है ! रहेगा तो भी रूखा सूखा ! ये मनुष्य के चुनाव पर निर्भर है कि उसे अपने भीतर की रसधार के साथ हरा और जीवंत रहना है .. या सिर्फ बाहर के जलों के सहारे हरे रहने के भ्रम में रहना है ! और फिर भीतर की रसधार भी हो और बाहर से जल भी मिले तो ही जीवन में सच में बहार का आना नैसर्गिक हो जाता है ! दिन भर घूमने के बाद विश्रांति अपने घर में ही मिलती है ! इसी तरह ये शरीर आप का असली निवास है.. घर है ! कभी अपने इस असली घर के भीतर प्रवेश का प्रयास भी करें ! सहज आनंद, शांति और प्रफुल्लता जीवन में फलित हो जायेगी ! जिस तरह किसी भव्य मंदिर के केंद्र में..गर्भ गृह में परमात्मा की प्रतिमा विराजमान रहती है.. उसी तरह हमारे शरीर के अंतस के केंद्र में परमात्मा की दिव्य ज्योति विराजमान रहती है ! चैबीस घण्टों में से..कम से कम एक दो घड़ी..मौन में, ध्यान में रहने के लिये निकालें..और पूरे मन से अपने अंतस के केंद्र में प्रवेश करने, अपने अंतस की दिव्य ज्योति का दर्शन करने का प्रयास करें.. और अपनी दिव्यता का अनुभव करें ! और प्रयास सच्चा हो तो परमात्मा की कृपा..जो सहज बरसती ही रहती है..उसका आप भी स्वयं प्रत्यक्ष अनुभव कर सकते हैं..ये निश्चित मानें ! -------प्रमोद मूंधड़ा

Specifications of Surbala (Hard Cover)

BOOK DETAILS

PublisherUttkarsh Prakashan
ISBN-109-38-728903-6
Number of Pages132
Publication Year2017
LanguageHindi
ISBN-13978-9-38-728903-1
Bindinghard cover

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