Author : Jaihind Prasahar
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 96Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 150
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हिन्दू धर्म के पतन कारक-1 में प्रथम पुरुष स्वायंभुव मनु के बाद सातवें मनु भगवान वैवश्वत मनु से लेकर आदिकाल से 1947 में मिली आजादी से पूर्व तक भारत में सनातन हिन्दू धर्म में होने वाले पतनों के कुछ ऐसे मुख्य कारणों पर प्रकाश डालने की कोशिश की है जिनकी वजह से हमारे पूर्वजों ने घोर यातनाएं, पीड़ाएं, जुल्म और सितम सहे । हिन्दू औरतों की आबरुओं को रोंदा गया, सरेआम उनकी इज्जत को कुचला गया और विडम्बना देखिये कि खुद भारतीय हिन्दुओं ने ही आपसी भेदभाव किसी भी कीमत पर अपने रुतबे को बढ़ाने, दूसरे को नीचा दिखाने तथा तुच्छ महत्वाकांक्षाओं और निजी स्वार्थों को राष्ट्रहितों और सनातन हिन्दू धर्म के हितों पर तरजीह देकर हिन्दू धर्म के इन सभी पतन के कारणों को खुद पैदा किया जहाँ भिन्न-भिन्न रियासतों में बंटे भारत के राजा अपनी-अपनी विरासतों को ही अपना-अपना राष्ट्र समझकर एक-दूसरे के विरोध तथा पतन में लगे रहते थे वही हमारी इसी कमजोरी का फायदा उठाते हुए ज्यादातर अरब मूल के विदेशी आक्रांताओं ने अनेकों बार भारत पर आक्रमण करके न सिर्फ भारत को बेहताशा लूटा बल्कि अमानवीय जघन्य जुल्मों व यातनाओं द्वारा भारतीय हिन्दुओं को जबरन इस्लाम धर्म अपनवा कर इस्लामिक भी बनाया और हमारे देश में हमीं पर राज करते हुए हमारी ही कायरता की बदोलत इतिहास के पन्नों में महान बनकर आज भी भारत में राज कर रहे हैं । जहाँ कुछ राष्ट्रवादी भारतीय वीर सपूतों ने राष्ट्र और धर्म की आन-बान-शान के लिये लड़ते-लड़ते अपने प्राणों की आहुति दे दी थी मगर इस्लामिक आक्रांताओं के सामने कभी सिर नहीं झुकाया और न ही उनकी अधीनता स्वीकार की थी । वहीं कुछ माँ भारती के गद्दार कपूतों ने अपने प्राणों की सुरक्षा धन ऐश्वर्य के लालच में इस्लामिक आक्रांताओं की गुलामी ही स्वीकार नहीं की बल्कि इस्लामिक आक्रांताओं र्को इंट का जवाब पत्थर से देने तथा आक्रांताओं को धूल चटाने वाले भारतीय वीर सपूतों के खिलाफ इस्लामिक आक्रांताओं का भरपूर साथ भी दिया । यहाँ तक कि कुछ गद्दारों ने तो अपनी बहन और बेटियों तक को इस्लामिक आक्रांताओं के हरम के सुपुर्द कर दिया जहाँ मैंने इस्लामिक आक्रांताओं से लड़ने वाले कुछ वीर वीरांगनाओं की शौर्य समरों का विस्तार पूर्ण वर्णन किया है ।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-815509-2 |
Number of Pages | 96 |
Publication Year | 2018 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-88155-09-0 |
Binding | paperback |
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