Author : Jaihind Prasahar
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 96Page
Language : Hindi
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यह पुस्तक धन लोलुप और सत्ता मोह में डूबे उन भ्रष्ट बेईमान नेताओं जो अपने तुच्छ निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए अपने राष्ट्र दायित्वों को ताक पे रखकर राष्ट्रहितों के पीठ में खंजर घोप के केवल और केवल वोट बैंक की राजनीति करते हैं तथा जो लोग जाति धर्म के स्वार्थ में फंसकर अपने निजी हितों को राष्ट्रहितों पर तरजीह देकर नाकारा बेकार भ्रष्ट, बेईमान नेताओं को अपने कर्णधारों के रूप में चुन लेते हैं। जो लोग धन लालच और सत्ता मोह में डूबकर भारत माँ की अस्मत पर गंदी नियत रखने वाले तथा पने मतलब की स्वार्थ पूर्ति के लिए मीर जाफरों और जयचंदों के हौसलों में चार चाँद लगा गद्दारों की मात और जज्बे को बढ़ाते हैं तथा कबाईली नीति करके अपने-अपने क्षेत्रों को अपनी विरासत बनाकर खुद को उस सल्तनत का सरदार बनाये बैठे हैं जिन्होंने मानो देश को छोटी-छोटी रियासतों में बाँटकर देश की अखण्डता और एकता को चोट पहुँचाई है, ऐसे लोगों के खिलाफ जनता को जागरुक करके मूल भारतीय संस्कृति तथा सनातन हिन्दू धर्म को फिर से पोषित करके अखण्ड भारत निर्माण कराने में अपना सर्वसम न्यौछावर करने के लिए हर पल तत्पर रहने वाले सच्चे राष्ट्रवादी भारतीयों के प्रोत्साहन और सम्मान को समर्पित है
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-815512-2 |
Number of Pages | 96 |
Publication Year | 2018 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-88155-12-0 |
Binding | paperback |
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