Author : Dr Jyoti Singh
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 322Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 550
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खींचो न कमानों को, न तलवार निकालो । जब तोप मुकाबिल हो, अखबार निकालो।। उपरोक्त पंक्तियाँ सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक बदलाव के लिए बहुत बड़ी मार्गदर्शक रही है। उपनिवेशवादि शक्तियों के विरुद्ध भारत के स्वतंत्रता संग्राम में तो ये और भी अधिकप्रासंगिक बनकर उभरी। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले तथा नेतृत्व करने वाले अधिकांश अग्रणी नेताओं ने जन-जन तक अपने विचारों का प्रचार-प्रसार करने के लिए समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं का सहारा लिया था। आज यह प्रमाणित हो चुका है कि आजादी की लड़ाई के उस दौर में न केवल स्वाधीनता संग्राम को गति देने हेतु बल्कि योग्य दिशा में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन तथा समाज में हाशिये पर बैठे सामाजिक वर्गों की चेतना को जाग्रत करने में इनकी महती भूमिका रही। प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध में ऐसी ही एक अग्रणी पत्रिका, ‘चाँद’ जो स्वाधीनता संग्राम के प्रखर काल में ‘प्रयाग’ से प्रकाशित होती रही के द्वारा स्वाधीनता आन्दोलन और स्त्री मुक्ति संघर्ष में किए गए योगदान का प्रभावी मूल्यांकन करने का सफल प्रयास किया गया है। चाँद का अभ्युदय और उत्कर्ष का काल खंड भारत के स्वतंत्रता संग्राम का निर्णायक काल खंड रहा है। इस कालखंड में साहित्य जगत में अनेकानेक पत्रिकाएँ प्रकाशित हुई, परन्तु अपनी प्रगतिशील विचारधारा, स्वतंत्रता संग्राम के प्रति वचन-बद्धता तथा स्वतंत्र भारत के भावी समाज की एक रूपरेखा का संकेत देने में इस पत्रिका ने अपना अद्वितीय योगदान दिया है, ऐसा शोधकत्र्ता के मूल्यांकन का स्वतः स्फूर्त निष्कर्ष है।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-815502-5 |
Number of Pages | 322 |
Publication Year | 2018 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-88155-02-1 |
Binding | hardbaund |
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