Author : Sushil Rakesh
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 168Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 200
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विद्वान कवि श्री सुशील राकेश ने इस काव्य संग्रह ‘छोटी होती हुई दुनिया’ में अपनी लेखनी के माध्यम से अपने उद्गार व्यक्त किये हैं। कवित्त भाषा शैली में लिखे गये उनके उद्गार मानो उनके अनुभवों का जीता-जागता प्रमाण है। सभी रचनाएं ज्ञान से परिपूर्ण हैं जो सुधी पाठकों का भरपूर मनोरंजन भी करेंगी और उन्हें उत्प्रेरित भी करेंगी। सभी रचनाएं उत्तम कोटि की हैं और सहज, सरल शब्दों में लिखी गयी हैं, ताकि आम पाठक की समझ में आसानी से आ जाये। सामाजिक दृष्टिकोण से यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी है और नवोदित कवियों को भी अवश्य ही प्रेरणा देगी। अनेक रचनाओं में मानवीय बोध निहित है जो पुस्तक की सार्थकता को बल प्रदान करता है। तो वहीं कई रचनाएं कवि मन की भावुकता का आईना दिखलाती प्रतीत होती हैं। अतुकान्त कविताओं की यही विशेषता है कि कवि अपने मन की बात सीधे-सीधे लिखकर पाठक के हृदय तक पहुँचा देता है। इसीलिए आजकल मुक्त कविताओं का अधिक प्रचलन है। इस पुस्तक की सभी मुक्त कविताएं एक से बढ़कर एक हैं जो विविध विषयों पर आधारित हैं। उनमें भावनाएं भी हैं मानवता भी है सामाजिकता भी है और देशप्रेम भी है।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-815573-4 |
Number of Pages | 168 |
Publication Year | 2019 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-88155-73-1 |
Binding | paperback |
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