Author : Mahak Jonpuri
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 72Page
Language : Hindi
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इस पुस्तक में 61 ग़ज़लें हैं। ग़ज़ल एक ख़ूबसूरत सिन्फ़-सुख़न है। यह अरबी का शब्द है तथा इसका शाब्दिक अर्थ है महबूब से बात करना। ग़ज़ल ने अरबी-फारसी से उर्दू तक का लम्बा सफ़ र तय करते हुए कुछ दशकों पूर्व हिंदी में भी पूरी गर्मजोशी के साथ पदार्पण किया है। लगभग हर विधा का रचनाकार ग़ज़ल कहने की कोशिश कर रहा है। ग़ज़ल की तरफ सबका रुझान इसकी नाज़ ुक मिज़ाजी तथा ख़ूबसूरती के कारण है। शुरूआती दौर में ग़ज़ल क़ दीमी तगज्जुल से लबरेज़ रहती थी। क़ दीमी शायरी हुस्नो-इश्क, जामो-मीना की खनक लिए हुए होती थी। आहिस्ता-आहिस्ता समाज के तौर-तरीक़ ों में तमाम बदलाव आये तथा इंसान के सामने तमाम तरह की मुश्किलें आने लगीं और वो इन मुश्किलों से जूझने लगा। नतीज़तन ग़ज़ल ने अपने रवायती लबो-लहजे की दीवार को लाँघकर नई ज़मीन तलाश की तथा इंसान की रोजमर्रा की कशमकश की तरफ रुख कर लिया। ऐसे में जन्म हुआ जदीद शायरी का। इसमें ज़िन्दगी की तमाम उठापटक, मसलन, बेईमानी, झूठ, मक्कारी, घूसखोरी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, मानवीय मूल्यों का ह्रास, हत्या, डकैती, कत्ल आदि पर शेर कहे जाने लगे। चूँकि मफ़ हूम में ये तब्दीली समय की माँग थी अतः लोगों को ऐसी शायरी पसंद भी खूब आने लगी। इतना ही नहीं जदीद शायरी में कुछ भाषागत बदलाव भी इस दौरान हुए और ग़ज़ल में क्लिष्ट शब्दों की जगह हिंदी-उर्दू की बोलचाल की भाषा का चलन शुरू हुआ। यहाँ तक की अंग्रेजी के शब्दों का प्रवाहपूर्ण प्रयोग भी शायरों ने बड़ी कामयाबी के साथ करना शुरू कर दिया। उदाहरण के तौर पर मुनव्वर राणा साहब का निम्न शेर क़बिले-गौर है जिसमें अंग्रेजी के इलेक्शन शब्द का इस्तेमाल बड़ी खूबसूरती से किया गया है
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-815572-6 |
Number of Pages | 72 |
Publication Year | 2019 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-88155-72-4 |
Binding | paper back |
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