Author : Jaihind Prashar
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 96Page
Language : Hindi
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भारत गांवों का देश है अर्थात भारत की आत्मा गांवों में बसती है यदि हमें अपने देश का विकास करना है तो गांवों का विकास करना पड़ेगा क्योंकि जिस वृक्ष की जड़े कमजोर होती है वह वृक्ष अधिक समय तक स्थिर नहीं रह सकता। गांधी जी उपरोक्त कथन आज भी उतना ही प्रासांगिक है जितना उस समय था। आज भी, आजादी के सत्तर वर्ष उपरान्त हमारे गांवों की स्थिति में कोई विशेष सुधार या विकास देखने में नहीं आता। जिस अनुपात में नगरों महानगरों का विकास हुआ है उसका शतांश भी गांवों में दिखाई नहीं पड़ता और इससे अधिक भारत के गांवों की दयनीय स्थिति क्या होगी कि जिन्हें हम गर्व से अन्नदाता कहते नहीं अघाते वे ही आत्महत्या करने पर विवश हैं और किसानों द्वारा आत्महत्या करने के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। गांवों के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है जब तक प्रजातंत्र के सभी अंग मिलकर प्रयास नहीं करते तब तक ग्रामीण विकास का स्वरूप देखने को नहीं मिलेगा।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-815557-2 |
Number of Pages | 96 |
Publication Year | 2019 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-88155-57-1 |
Binding | paperback |
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