Author : Editors Himkar Shyam And Abbas Sultanpuri
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 168Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 250
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ग़ज़ल ऐसी विधा है, जिससे नज़ाकत टपकती है। बड़ी से बड़ी बात ग़ज़ल में बहुत सलीके से कह दी जाती है। यही नज़ाकत ग़ज़ल की जान भी है। ग़ज़ल किसी ख़ास भाषा के बन्धन में बँधने से इनकार करती है। हिन्दी में ग़ज़ल -939लेखन की समृद्ध परंपरा रही है। अमीर खुसरो, कबीर, भारतेंदु के माध्यम से ग़ज़ल लेखन की शुरुआत हुई। काव्य में हर प्रकार के प्रयोग करने वाले महाकवि निराला ने भी ग़ज़लें लिखीं। जयशंकर प्रसाद, हरिऔध, जानकीबल्लभ शास्त्री, नरेंद्र शर्मा और शमशेर ने भी ग़ज़लें लिखीं थीं। कवि-गीतकार नीरज ने अपनी रचनाओं को ग़ज़ल न कह कर गीतिका कहा, हालाँकि वे उर्दू की परंपरागत शैली से किसी प्रकार से भिन्न नहीं थीं। दुष्यंत कुमार हिन्दी के सफल ग़ज़लकार कहे जाते हैं। दुष्यंत के बाद ‘हिन्दी ग़ज़ल’ जैसा नाम प्रचलन में आ गया। अदम गोंडवी, बल्ली सिंह चीमा, विज्ञान व्रत, कुँवर बेचैन, दीक्षित दनकौरी आदि ने हिन्दी ग़ज़लों की लोकप्रियता को विस्तार दिया। कुछ वर्षों में ग़ज़ल कहने की प्रवृत्ति ने जोर पकड़ा है। आज हिन्दी में छंदबद्ध लिखने वाले अधिकांश रचनाकार ग़ज़लें लिख रहे हैं। ग़ज़ल लिखने वाले तो हैं ही, ग़ज़ल पर विचार-विमर्श करने वाले भी कम नहीं हैं। ऐसे लोगों की भी लंबी जमात है, जो हिन्दी ग़ज़ल को गढ़ने-सँवारने में लगे हैं। ‘बाद-ए-सबा’ समूह का यह चौथा साझा संग्रह है। प्रस्तुत ग़ज़ल संग्रह में 23 गजलकारों की ग़ज़लें संकलित हैं
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-929816-4 |
Number of Pages | 168 |
Publication Year | 2019 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-89298-16-1 |
Binding | paperback |
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