Author : Mehak Jaunpuri
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 52Page
Language : Hindi
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हाइकू काव्य की जापानी विधा है । हाइकू को मात्सुओ बाशो ने 1644 से 1694 के दरम्यान प्रतिस्थापित किया । 17वीं शताब्दी में यह विधा जीवन दर्शन से जुड़कर काव्य की जापानी मुख्य विधा बनी। समय के साथ साथ सदियों का सफ़र तय करते हुए और जापानी साहित्य की सीमाओं को लाँघते हुए हाइकू विश्व साहित्य की बेहद पसंदीदा और चहंुतरफ़ा लिखी जाने वाली बेहद प्रचिलित विधा बन चुकी है । संरचना की दृष्टि से देखा जाय तो हाइकू 3 पंक्तियों की कविता है जिसकी प्रथम पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी में 7 अक्षर तथा तीसरी में 5 अक्षर होते हैं। संयुक्त अक्षर को एक अक्षर गिना जाता है, जैसे ‘सुगन्ध’ में तीन अक्षर हैं- सु-1, ग-1, न्ध-1, यह भी ध्यान रखना है कि तीनों वाक्य अलग-अलग होने चाहिए अर्थात एक ही वाक्य को 5,7,5 के क्रम में तोड़कर नहीं लिखना है बल्कि तीन पूर्ण पंक्तियाँ हों । कहा जाता है की प्रकृति प्रेम तथा मानवतावाद के प्रति प्रेम हाइकू का मूल आधार है परन्तु समय की माँग को देखते हुए विभिन्न विषयक हाइकू कहे जाने लगे हैं । हाइकू संग्रह तथा हाइकू गोष्ठियों की तरफ भी रचनाकारों का रुझान बढ़ा है। हाइकू कविता आज विश्व की अनेक भाषाओं में लिखी जा रही हैं तथा चर्चित हो रही है। यह कहा जाता है कि हाइकू के लिए हिंदी बहुत ही उपयुक्त भाषा है । हिंदी के तमाम हाइकू संग्रह प्रकाशित हो रहे हैं तथा पत्र-पत्रिकाओं में भी हाइकू अक्सर पढ़ने में आते हैं ।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-929832-6 |
Number of Pages | 52 |
Publication Year | 2019 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-89298-32-1 |
Binding | paperback |
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