Author : Parkash Chand Bansal
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 56Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 100
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जब मन नहीं बहलता...अकुलाता है...भावनाएँ उछलती हैं...बहकने लगती हैं तो लेखनी खुद-ब-खुद चलने लग जाती है। जब संभावनाओं का आकाश दूर-बहुत-दूर भी दिखाई नहीं देता तो कलम आड़ी-तिरछी रेखाएं खींचने लग जाती है जिन्हें लोग कविता कह देते हैं। कुछ ऐसे ही व्यथित मन की भावाभिव्यक्ति को इस पुस्तक में पिरोया गया है। कलम के सिपाही, माँ सरस्वती के उपासक, कई दशकों से हिन्दी साहित्य की सेवा करने वाले विद्वान कवि श्री प्रकाश चन्द बंसल की पाँचवीं काव्य कृति ‘बिखरे सपनें’ निःसन्देह एक अनूठी पुस्तक है जिसमें कविवर ने अपने दर्द भरे हृदय के उस पक्ष को काव्य रूप में उजागर किया है जिसे आमतौर पर सार्वजनिक करने में सहजता महसूस नहीं होती। कवि ने अपने मन के छुए-अनछुए अनेक पहलुओं को इस संक्षिप्त काव्यमाला में पिरोया है। पुस्तक ‘बिखरे सपनें’ की सभी रचनाएँ उत्तम कोटि की हैं। सीधे शब्दों में मन की बातें हैं जो पाठकों को लुभाने में, तृप्त करने में अवश्य कामयाब होंगी। इस काव्य पुस्तक का कला पक्ष और भाव पक्ष प्रबल है इसलिए पाठकों को अवश्य पसन्द आयेगी। मार्मिक रचनाएँ बड़ी ही सहजता और सरलता के साथ प्रस्तुत की गयी हैं जो आम आदमी की समझ में आसानी से आ जाने वाली हैं, अन्तरपीड़ा बयां कर मर्म को छू जाने वाली हैं।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-929863-6 |
Number of Pages | 56 |
Publication Year | 2020 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-89298-35-2 |
Binding | paperback |
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