Author : Pankaj Kumar Mishra
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 100Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 250
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‘निर्गुण भक्ति काव्य’ क्यों पढ़ा जाये ? यह विचारणीय बिन्दु है। हालाँकि उस समय की कविता संगीत से ओत-प्रोत के कारण काफी सम्प्रेषणीय एवं लोकप्रिय हैं। विचारधाराओं के आधार पर किसी भी काल खंड का मूल्यांकन काफी समय तक चलता नहीं है। निर्गुण भक्ति काव्य के कवि जितने सम्प्रेषणीय एवं सहज हैं, उन पर लिखी गयी आलोचनाएँ उतनी ही कठिन हैं, यह किताब इसी मकसद से सम्पादित हुई कि निर्गुण भक्त कवियों का सम्पर्क मूल्यांकन हो। इस पुस्तक में विभिन्न लेखकों के 14 लेख संग्रहीत किये गये हंै। जिन युवा आलोचकों ने निर्गुण काव्य को खंगाला है उन्होंने तमाम विसंगतियों को भी लेखांकित करने की कोशिश की है। इस पुस्तक को पढ़ने से निर्गुण भक्ति काव्य के तमाम मूल्य आज के संदर्भ में काफी समीचीन है। जो लोग भक्तिकाव्य एक से परहेज करते हैं वे निर्गुण एवं सगुण भक्ति काव्य के विविध पहलुओं पर दृष्टिपात करेंगे तो किताब की महत्ता अपने आप समझ में आयेगी। इस पुस्तक में कबीर, जायसी, रविदास, प्राणनाथ आदि पर शोधपरक लेख लिखे गये हैं। वाद-विवादों में न पड़कर निर्गुण काव्य का पारदर्शक मूल्यांकन काफी अपेक्षित है। 14 लेखकों का यह साझा संग्रह निश्चित रूप से सहृदयों को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करेगी।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-815578-5 |
Number of Pages | 100 |
Publication Year | 2020 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-88155-78-6 |
Binding | Paperback |
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