Author : Dr. Savyasachi
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 208Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 400
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शोधप्रबन्ध का विषय है- ‘छायावादी काव्य प्रवृत्तियों के संदर्भ में जयशंकर प्रसाद की काव्य-चेतना’... इसका मुख्य उद्देश्य यह देखना है कि ब्रजभाषा की आरम्भिक कविताओं से लेकर अंत तक प्रसाद के काव्य में छायावादी तत्वों का विकास किस प्रकार से हुआ है। इस शोधप्रबन्ध में कुल 7 अध्याय हैं। पहले अध्याय में छायावाद के समय का निर्धारण करते हुए छायावाद की परिभाषा रखी गयी है। छायावाद की विभिन्न प्रवृत्तियाँ जैसे सौन्दर्य की सूक्ष्म चेतना, वैयक्तिकता, सांस्कृतिक दृष्टि, भावुकता आदि का अध्ययन किया गया है... दूसरे तथा तीसरे अध्याय में प्रसाद के साहित्य का सामान्य परिचय है। जयशंकर प्रसाद ने आरम्भ में ब्रजभाषा में कविताओं की रचना की थी ब्रजभाषा की कविताओं के साथ चित्राधार, प्रेमपथिक, करुणालय, महाराणा का महत्व, झरना, आँसू, लहर और कामायनी का भी परिचय दिया गया है। तीसरे अध्याय में प्रसाद जी के नाटकों, कहानी संग्रहों, उपन्यासों और निबन्ध संग्रह का परिचय दिया गया है चौथे अध्याय में प्रसाद के काव्य के प्रथम उन्मेष के संदर्भ में उनकी सौन्दर्य चेतना, कल्पनाशीलता, वैयक्तिकता और रहस्य-चेतना का परिचय दिया गया है ‘आँसू’ पर लिखे गये पाँचवें अध्याय में उसके प्रबन्धत्व, व्यक्ति-चेतना वैश्विक-चेतना, वेदना और कल्पना का उद्घाटन किया गया है। ‘लहर’ काव्य संग्रह पर लिखे गये छठे अध्याय में लहर की प्रबन्धात्मक रचनाओं का पहले अध्ययन किया गया है, इसके बाद ‘लहर’ के गीतों में पायी जानी वाली गीतात्मकता का अध्ययन किया गया है। साँतवें अध्याय में कामायनी की प्रबन्ध योजना पर विचार है। कामायनी के शिल्प विधान का अध्ययन अंत में किया गया है....
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-929875-X |
Number of Pages | 208 |
Publication Year | 2020 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-89298-75-8 |
Binding | Paperback |
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