Author : Manohar Singh Chauhan Madhukar
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 100Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 150
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जावरा जिला रतलाम म.प्र. निवासी कवि गजलकार मनोहर सिंह चौहान मधुकर की गजलें जहाँ एक ओर मन को छू जाती हैं वहीं समाज का भी भला करती प्रतीत होती हैं ...... ज़ल नवाबों के ज़माने में दरबारी ग़ज़ल कहलाती थी अतः इश्क़ जाम मीना मोहब्बत के आसपास ही रहा करती थी। ग़ज़ल का शाब्दिक अर्थ यही होता था या फिर ग़ज़ल दरबारी होने के कारण नवाब की प्रशस्ति गाया करती थी, उर्दू में ग़ज़ल के मायने यही हुआ करते थे बल्कि यूँ कहे ग़ज़ल उर्दू की ख़ास विधा कहलाती थी, मगर समय के साथ उर्दू ने अपने मापदंड बदलें जब से दुष्यंत कुमार ने ग़ज़ल के पुरानेपन के मिथक को तोड़ा है, समसामयिकता की ओर मोड़ा है, तब से हिंदी में ग़ज़ल लिखने वालों की बाढ़ सी आ गई है, ग़ज़ल अब इश्क, मोहब्बत, मीना, जाम से बाहर निकल चुकी है आज वह सामाजिक व्यवस्था हो या राजनीति उस पर तंज कसना इसका स्वभाव बन गया है। ‘मधुकर’ ग़ज़ल संग्रह को उर्दू के जानकार उर्दू के मापदंड से नकार भी सकते हैं मगर ग़ज़ल के मापदंड में ये ग़ज़ले खरी उतरती हैं। इस संग्रह की ग़ज़लों में प्रेम मोहब्बत की ही ग़ज़लें नहीं बल्कि समाज राजनीति में जहाँ विसंगति दिखाई पड़ती हैं...
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-815569-6 |
Number of Pages | 100 |
Publication Year | 2021 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-88155-69-4 |
Binding | Paperback |
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