Author : Savita Rani 'omya'
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 104Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 200
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हरियाणा के जिला रोहतक निवासी कवयित्री सविता रानी 'ओम्या' ने अपने मन के भावों को रचनाओं के रूप में इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है ..... ‘‘वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान। निकल कर आँसुओं से चुपचाप बही होगी कविता अनजान।।’’ सुमित्रानंदन पंत की उपर्युक्त पंक्तियों का भाव है- जीवन के सफ़ र में पीड़ा-दर्द ने काव्य लेखन में प्रवृत्त किया है। भारतीय समाज में नारी मन की कल्पनाओं, भावनाओं एवं कोमलता को महत्व देना स्वीकार्य नहीं रहा है। अमृता प्रीतम की कविताओं में नारी की पीड़ा व उसके समाज में महत्व का मर्म सदैव नगण्य प्रतीत होता रहा है। सखी-समूह में मैंने जब भी अपने मनोभावों को कविता के रूप में सुनाया तो उन सबने नारी मन की पीड़ा व सच्चाई को गहनता से महसूस किया व मुझे लिखने को प्रेरित किया। उन्हीं के अथाह साथ, स्नेह से लेखन में रुझान बढ़ता गया। ऐसे ही उनमें से एक सखी ने काव्य संग्रह को नाम भी दे दिया- ‘नारी प्रेम की पीर’ जैसे प्रकृति अपने नैसर्गिक सौन्दर्य में विशेषता रखती है, वैसे ही मैंने अपने मन-कानन के भावों को स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत किया है। अपनी भावपूर्ण रचनाओं में स्त्री के नारीत्वपूर्ण भावों को उकेरने का प्रयास किया है। जहाँ इस पुस्तक की रचनाओं के लेखन से लेकर प्रकाशन तक मेरे स्नेहिल स्वजनों की प्रेरणा ने सारथी का काम किया तो वहीं आदरणीय माता-पिता का आशीर्वाद व जीवन साथी के अटूट विश्वास ने पल-पल मजबूती दी तो यह कार्य सम्भव हो पाया। आप सभी काव्य प्रेमियों के हृदय-पटल पर अपने पहले काव्य संग्रह ‘नारी प्रेम की पीर’ से अमिट छाप रखने की आशा के साथ ही आपके स्नेही साथ की अभिलाषी हूँ । ----सविता रानी ‘ओम्या’
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 978-81-95317-69-1 |
Number of Pages | 104 |
Publication Year | 2021 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-81-95317-69-1 |
Binding | Paperback |
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