Author : Dr. Chhagan Lal Garg
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 112Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 250
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सिरोही राजस्थान निवासी प्रबुद्ध साहित्यकार डा. छगन लाल गर्ग की यह काव्य कृति उत्कर्ष प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पांचवी पुस्तक है इससे पूर्व कवि की चार पुस्तकें उत्कर्ष प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें मदांध मन, रंजन रस, तथाता और विज्ञ छंद कुण्डलियाँ शामिल हैं... वैसे कवि की अभी तक सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ....इस पुस्तक में प्रस्तुत सवैया छंदों में की गई रचनाशीलता निसंदेह कलमकार को बुद्धिजीवी रचनाकारों की श्रेणी में ला खड़ा करती है ......................................................................................................................प्रकाशक ......................................................................................................................‘छगन छंद सवैया’ काव्य संग्रह एकानुभूति की प्रबल चेतना का अंकुरण है, जिसमें जीवन के सत्य से निखरी हुई यथार्थ अभिप्साओं का आध्यात्मिक रूपांतरण व प्रज्ञा का शास्वत चिंतन हुआ है। यह भीतरी रश्मि का तनिक-सा कतरा है जो अलौकिक गुरुदेव की कृपा से जीवन की उपादेयता को उद्भाषित करना चाहता है। ‘छगन छंद सवैया’ काव्य में अभिव्यक्ति का सौन्दर्य सवैया छंद में प्रकाशित करने के पीछे मेरी इच्छा इस छंद की रसानुभूति, शब्द सौन्दर्य, भाव सौन्दर्य और गेयता को काव्य जगत में उजागर कर रीति और भक्तिकाल के बाद से मृत प्राय इस छंद की पुनः प्रतिष्ठा करना है। काव्य के भाव जगत की उच्चतम दशा से साक्षात्कार कर अद्वैत दर्शन का उदघाटन करना भी मेरा प्रयास है। सत्य, शांति, मौन और होश में रसास्वादन की अनुभूति का दिव्य नाद है जो भीतर के स्वर से अनुप्राणित होकर चेतना में समा जाता है। काव्य की झील में उठती हुई लहरें भीतरी स्वभाव और आत्मा के स्पंदन से झंकृत होकर सौन्दर्य बिंब उपस्थित करे यही काव्य की प्रखरता व श्रेष्ठता है। ‘छगन छंद सवैया’ काव्य इसी की अनुगुंज है जिसमें गुरु और शिष्य के बीच तादात्म्य के स्थान पर समर्पण की सच्चाई की एकरसता का बोध है, यहाँ गुरु और शिष्य लयबद्ध है, दोनों के मध्य अंतर्मन की गहराइयाँ और ऊर्जा का घनत्व है, यहाँ शिष्य स्वयं को ही गा रहा है पर अनायास ही गुरुदेव के अमृतत्व से नहा उठा है और सृष्टि में परमात्मा का रहस्यमय स्वरूप विराटता के साथ नृत्य मगन हो उठा है। 'छगन छंद सवैया’ काव्य संग्रह निष्ठा, करुणा, परार्थी, अहिंसक और अहंकार से मुक्त होने की सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति है। छगन छंद सवैया’ काव्य संग्रह पुरातन संस्कृति की दिव्य आभा से आलोकित, निर्लिप्त साधना, गुरु भक्ति, सत्य संकल्प, चिंतन मनन की मनोभूमि पर आधारित है-------------------------------------------------------------------------------------------छगन लाल गर्ग
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 978-81-94942-70-2 |
Number of Pages | 112 |
Publication Year | 2021 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-81-94942-70-2 |
Binding | Hard Cover |
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