Author : Umesh Mohan Dhavan
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 146Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 180
Selling Price
(Free delivery)
कानपुर निवासी वरिष्ठ कथाकार श्री उमेश मोहन धवन जी की इस पुस्तक में लघुकथा की सही जमीन उसका कथापन ही है। लघुकथाओं में इसका उदाहरण हर कहानी में मिलता है। लघुकथाएँ जैसे ‘‘जीवनदान’’, ‘‘मेहँदी’’, ‘‘कुशल प्रबन्धक’’, ‘‘जा के पाँव न’’ इत्यादि सभी को पढ़कर लगता है कि जैसे लेखक ने पाठक की सोच को अपने शब्दों में चित्रण कर दिया है, जिसके चलते पाठक पढ़ते हुए एक जुड़ाव महसूस करता है। अक्सर ऐसे होता है कि, कई लघुकथाओं की मूल घटना पृष्ठभूमि में घटित हो चुकी होती है। क्योंकि छोटी से छोटी घटना भी विराट मानवीय संवेदना, निर्माण-क्षमता, संघर्ष और अनेक गहन गूढ़ अर्थ निहित हो सकते हैं। और इन सब बातों का एक साथ शब्दों में आना लघु कथा को जन्म देता है। ऐसी ही एक घटना ने उमेश मोहन धवन जी से ‘‘पीर परायी’’ लघुकथा लिखवाई। लघुकथाकार उमेश मोहन धवन जी घटनाओं तथा स्थितियों के चित्रण के साथ-साथ सांकेतिक रूप से पात्रों के चरित्रों को भी स्पष्ट करते चलते हैं।--------- डाॅ. अनिता कपूर (केलिफोर्निया, अमेरिका)
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 978-81-95372-44-7 |
Number of Pages | 146 |
Publication Year | 2021 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-81-95372-44-7 |
Binding | Paperback |
© Copyrights 2013-2023. All Rights Reserved Uttkarsh Prakashan
Designed By: Uttkarsh Prakashan