Author : Sarita Katiyar
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 112Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 150
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“दो परियां” उत्कर्ष प्रकाशन द्वारा प्रकाशित लखनऊ निवासी श्रीमती सरिता कटियार द्वारा रचित दूसरी पुस्तक है इससे पूर्व कवयित्री की प्रथम पुस्तक “सागर की सरिता” गत वर्ष उत्कर्ष प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुई थी... यह पुस्तक कवयित्री ने अपनी दोनों सुपुत्रियों को समर्पित की है जिसमें उन्होंने बहुत ही मार्मिक शब्दों का प्रयोग किया है और अपनी लेखनी का नमूना पेश किया है जो पुस्तक को सार्थकता प्रदान करता है... दो परियाँ काव्य संग्रह की भूमिका प्रसिद्द शायर “दर्द लखनवी” ने लिखी है कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत हैं......... ‘खुशबू’ और ‘शैफाली’ यानी ‘दो परियाँ’, शानदार भावनात्मक कृति, सन्त राजिंदर सिंह जी महाराज की दया मेहेर से परिपूर्ण, सरिता कटियार जी द्वारा रचित उनके दूसरे काव्य संग्रह की प्रस्तावना लिखते हुए अभिभूत हो गया । सच मानिए मैंने सरिता जी से ‘दो परियाँ’ काव्य संग्रह का शीर्षक रखने का अभिप्राय नहीं पूछा मगर मेरा हृदय कह रहा है कि ये शीर्षक उनकी दोनों नन्हीं-नन्हीं प्यारी-प्यारी बेटियों से उनकी अपार मुहब्बत का संकेत अवश्य कर रहा है। समस्त रचनाएँ भाव पक्ष की परिपक्वता को प्रदर्शित करती हैं। मुझे दो पंक्तियाँ याद आ रही हैं- ‘‘पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ, भया न पण्डित कोई…. ढाई आखर प्रेम के, पढ़े सो पण्डित होए’’ अपने सतगुर अपने मुर्शिद के प्रेम में डूबी हुई सरिता जी की एक-एक रचना पढ़ने के बाद ऐसा लगता है मानो मीरा की भावपूर्ण भक्ति से ओत-प्रोत भावों का कोई मोल नहीं है। उद्धव से गोपियों ने भी कहा था- ‘‘हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना….. हे उद्धव अपने ज्ञान की पोथी न सुनाना’’ मेरे मुर्शिद सन्त दर्शन सिंह जी के एक शेर से अपनी बात को विराम देना चाहूँगा- ‘‘नफस-नफस मुझे लाज़िम है शुक्र का सज़दा… कि मेरे दोस्त का एहसां है जिंदगी मेरी’’ ......मनमोहन सिंह भाटिया “दर्द लखनवी”
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 978-81-95247-20-2 |
Number of Pages | 112 |
Publication Year | 2021 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-81-95247-20-2 |
Binding | Paperback |
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