Uttkarsh Prakashan

Maharana Pratap


Maharana Pratap

Maharana Pratap(Hardcover)

Author : Dr. Shrikant Bhardwaj
Publisher : Uttkarsh Prakashan

Length : 144Page
Language : Hindi

List Price: Rs. 150

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भारत जहां कृषक प्रधान देश है वहीं वीरभोग्या वसुंधरा भी है। इस धरती पर एक से एक बढ़ कर वीर योद्धा हुए उनमें मेवाड़ (राजस्थान) के राणा प्रताप का नाम सूर्य के सदृश्य है जिसे सुनते ही एक अद्भुत गरिमा का भाव उत्पन्न होता है। मातृ भू पर मर मिटने का अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने का भाव हमारे मन को क्या से क्या कर देता है। कुछ व्यक्ति इस धरा पर ऐसे-ऐसे पैदा हुए है जिन पर आज तक न जाने कितना साहित्य रचा जा चुका है फिर भी लगता है अभी और कुछ भी लिखना बाकी है। महाराणा प्रताप एक ऐसा ही नाम है जिन पर राजस्थान ही नहीं उसके बाहर भी साहित्यकारों ने अपनी लेखनी चला कर अपनी भावांजलि उन्हें प्रेषित की है, इन्हीं में एक नाम है डाॅ. श्रीकान्त भारद्वाज का। महाराणा प्रताप-महाकाव्य में जहाँ ऐतिहासिकता का पूरा-पूरा ध्यान रखा गया है वहीं कवि अपनी कल्पना की उड़ानों द्वारा ऐसा शब्द चित्र बनाते हैं मानो सारी घटनाएं उनके चक्षुओं के समक्ष ही हो रही हैं। महाकाव्य की सारी मयार्दाओं का पालन करते हुए महाराणा के जीवन की प्रत्येक घटना का अद्भुत चित्रण कवि डाॅ. श्रीकान्त भारद्वाज की लेखनी ने किया है। कहते हैं कि संस्कारों की जननी तो माँ ही होती है। एक माँ प्रताप की जिसने अपने गर्भस्थ शिशु को ही संस्कारित करना प्रारंभ कर दिया- ‘‘भावी सुत का कर सत्त ध्यान, व्रत करती रखती अनुष्ठान कहती अर्चा का थाल सजा, माँ मेरा सुत हो दिव्यलाल’’ महाकाव्यकार ने भिन्न-भिन्न ऐतिहासिक घटनाओं को उठाकर महाराणा के चित्रण का विशद् वर्णन किया है। अकबर का चित्तौड़ पर आक्रमण, उदयसिंह का अपनी रानियों के साथ चुपचाप किले से निकल जाना, जगमल का विलासी होना, पत्ता का शौर्य तथा उदयसिंह के पश्चात् जगमल का गद्दी पर आसीन होना, प्रजा का उसका विरोध कर प्रताप को गद्दी पर बैठाना-क्योंकि जनता जगमल व प्रताप के अन्तर को देख रही थी...... डा. रमासिंह सदस्य, केन्द्रीय हिन्दी समिति, भारत सरकार, नई दिल्ली

Specifications of Maharana Pratap (Hardcover)

BOOK DETAILS

PublisherUttkarsh Prakashan
ISBN-109384236772
Number of Pages144
Publication Year2015
LanguageHindi
ISBN-139789384236779
BindingHardcover

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