Uttkarsh Prakashan

Poem

Category : कविता
Author : Prachi
Prachi

दुनिया की भीड़ में वह उम्र भर ढूंढता रहा... मगर सुकून उसे अपने घर में ही मिला...

दिखी एक नन्ही सी चिड़िया प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

Category : Baal Sahitya
Author : Prof Ravindra Pratap Singh
Prof Ravindra Pratap Singh

दिखी एक नन्ही सी चिड़िया प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह दिखी एक नन्ही सी चिड़िया, आज सवेरे सुबह खेलते , हरा भरा मैदान था , हरे भरे थे पेड़ वहां पर , एक गिलहरी आयी , बोली, " कैसी प्यारी चिड़िया कहाँ घूम कर आयी ! नहीं दिखी कुछ दिनों यहाँ पर मैंने तुमको ढूँढा रोज़ !" चिड़िया बोली, " बहन गिलहरी , मैं गयी हुयी थी पिकनिक पर जंगल में था आयोजन आयोजक थे हाथी भाई। "

जन्मदिन का तोहफा

Category : poetry
Author : Priti sharma
Priti sharma

तुम्हें क्या तोहफा दूं जन्मदिन का

समझ नही आ रहा

हां तुम यह कर सकते हो-

अपने जन्मदिन पर कि

अपने आँगन मे बैठकर 

अपने गाल पर कई तमाचे मारो

और कहो कि 

हे भगवान तुमने मेरी ऐसी प्रकृति क्यों बनाई 

हे माँ तुमने मुझे जन्म देते ही 

मार à¤•à¥à¤¯à¥‹à¤‚ नही दिया 

कि 

कोई भी मुझे प्रेम नही करता 

प्रेम कर ही नही सकता 

सब दुत्कारते हैं घ्रणा करते हैं 

मुझे भागने की तरकीब ढूंढते रहते हैं

सभी परेशां हैं मेरी प्रकृति से 

मैं  इतनी ताकतवर हूँ कि

सभी डरते हैं मुझसे 

मैं  à¤‡à¤¤à¤¨à¥€ मिलनसार हूँ कि

पल भर में किसी के साथ भी घुलमिल सकती हूँ 

फिर भी कोई मुझसे प्रेम नही करता 

मेरा नाम नही पूछोगे ?

मेरा नाम कोरोना… 

क्षणिका

Category : Poetry
Author : Priti sharma
Priti sharma

क्षणिका

वो कहते हैं

सदा खुश रहा करो

कभी पीछे मुड़कर ना देखा करो………….

 

और जब हम मुस्कुराते हैं

तो

हमारी पीठ में

सुई चुभा देते हैं………….

 

 

सृष्टि की जननी नारी ( कविता ) प्रकाशन हेतु

Category : Poem
Author : Varun Singh Gautam
Varun Singh Gautam

सृष्टि की जननी नारी हो। ममतामयी वात्सल्य हो। पूजा - भूषण - मधुर का सत्कार हो। अर्धनारीश्वर साम्य का उपलक्ष हो। तू सरस्वती मां की वाणी हो। कोकिला का पंचम स्वर हो। सभ्यता व संस्कृति का प्रारंभ हो। खेती व बस्ती का शुरुआत हो। तू ही ज्योतिष्टोम का स्वरूप हो। वेदों की इक्कीस प्रकाण्ड विदुषी हो। सोमरस की अनुसरण हो। ब्रह्मज्ञानिनी का अनुहरत हो। मीराबाई जैसे बैरागी हो। लक्ष्मीबाईण जैसे राजकर्ता हो। सावित्री जैसे पतिव्रता नारी हो। लता मंगेशकर जैसे स्वर साम्राज्ञी हो। विश्वसुंदरी की ताज हो। प्रलय का नरसंहार भी हो। तू प्रियवंदा‌ व पतिप्राणा हो। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा हो। **वरुण सिंह गौतम रतनपुर, बेगूसराय, बिहार मो. 6205825551

तब तुम कहां थे ?

Category : Poetry
Author : Priti sharma
Priti sharma

तब तुम कहां थे ?

जब वह तुम्हें

लतीफे सुना रहा था

अब जब उसकी

जिव्हा कट चुकी है

तो

तुम अपने कानों में

गर्म तेल डाल रहे हो...

कोरोना

Category : Poetry
Author : Priti sharma
Priti sharma

कोरोना से डरो ना वादे पूरे करो ना डिस्टेंस का ध्यान रखो ना मास्क मुंह पर लगाओ ना हाथ साबुन से धोओ ना भीड़ से दूर रहो ना तुम्हारे अंदर दिमाग है अमल इस पर करो ना xxxxxxxxxxxxxx ज्यादा स्मार्ट बनो ना दुश्मन शातिर है बहुत इससे तुम उलझो ना ना ना बे मौत मरो ना

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