Poetry
जन्मदिन का तोहफा
Author : Priti sharma
तुम्हें क्या तोहफा दूं जन्मदिन का
समझ नही आ रहा
हां तुम यह कर सकते हो-
अपने जन्मदिन पर कि
अपने आँगन मे बैठकर
अपने गाल पर कई तमाचे मारो
और कहो कि
हे भगवान तुमने मेरी ऐसी प्रकृति क्यों बनाई
हे माँ तुमने मुझे जन्म देते ही
मार क्यों नही दिया
कि
कोई भी मुझे प्रेम नही करता
प्रेम कर ही नही सकता
सब दुत्कारते हैं घ्रणा करते हैं
मुझे भागने की तरकीब ढूंढते रहते हैं
सभी परेशां हैं मेरी प्रकृति से
मैं इतनी ताकतवर हूँ कि
सभी डरते हैं मुझसे
मैं इतनी मिलनसार हूँ कि
पल भर में किसी के साथ भी घुलमिल सकती हूँ
फिर भी कोई मुझसे प्रेम नही करता
मेरा नाम नही पूछोगे ?
मेरा नाम कोरोना…
क्षणिका
Author : Priti sharma
क्षणिका
वो कहते हैं
सदा खुश रहा करो
कभी पीछे मुड़कर ना देखा करो………….
और जब हम मुस्कुराते हैं
तो
हमारी पीठ में
सुई चुभा देते हैं………….
तब तुम कहां थे ?
Author : Priti sharma
तब तुम कहां थे ?
जब वह तुम्हें
लतीफे सुना रहा था
अब जब उसकी
जिव्हा कट चुकी है
तो
तुम अपने कानों में
गर्म तेल डाल रहे हो...
कोरोना
Author : Priti sharma
कोरोना से डरो ना वादे पूरे करो ना डिस्टेंस का ध्यान रखो ना मास्क मुंह पर लगाओ ना हाथ साबुन से धोओ ना भीड़ से दूर रहो ना तुम्हारे अंदर दिमाग है अमल इस पर करो ना xxxxxxxxxxxxxx ज्यादा स्मार्ट बनो ना दुश्मन शातिर है बहुत इससे तुम उलझो ना ना ना बे मौत मरो ना
कविता
Author : Harsh sharma
जब मन नहीं बहलता अकुलाता है भावनाएं उछल कूद मचाती है संभावनाओं का आकाश छूट रहा होता है तब कलम खुद-ब-खुद लिखने लग जाती है पंक्तियां बनने लग जाती है जिन्हें लोग कविता कह देते हैं