Author : Dr. Kailash Chand Sharma 'shanki'
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 96 Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 225
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अपने जीवन में यथार्थ एवं आदर्शों को समरूपता प्रदान करने वाला वह इन्सान जिसके व्यक्तित्व में न जाने क्या-क्या रूप झलकते थे नजाने कौन-कौन से आसाम प्रतिबिम्बित होते थे जिनमें अपना एक अलग ही आकर्षण था। वह प्रवृत्ति, देश, मानवता और प्रतिकूलता में भी अनुकूलता से लगाव रखने वाला इन्सान था जो साधारण सा दृष्टि गोचर होता था परन्तु उसका समाज के लोगों पर सीधा गहरा असर होता था। उसके हृदय में जीवन पर्यन्त समाज और राष्ट्र के लिए कुछ करने की लालसा रही। त्याग ही उसका ध्येय था। मानव मात्र एवं देश की सेवा ही उसकी तपस्या थी। उसके ख्यालों में यही उत्तम कार्य रहा और यही धैर्य का परायण रूप रही। उसने आत्मिक शक्ति को ही मानव की सर्वोपरि ताकत स्वीकारा और इसी बल पर इन्सानों को भटकने से बचाया....गिरने से उबारा। वह सच्चा मोक्ष मानव की सेवा और देशहित में ढूंढता था और छोटी-सी व्यवस्थित ज़िन्दगी बेहतर मानता था। तपस्वी का एक शब्द आत्मा को रोमांचित करने वाला था- ‘‘फिरगियों के हम गुलाम रहे, तब भी दोषी हमारे देश के तत्कालीन राजा महाराजा और जनता ही रही। और आज जब हम स्वतन्त्र होकर भी भ्रामक परिस्थितियों के नाजुक दौर में बिखर रहे हैं भटक रहे हैं उसके कसूरवार भी हम ही हैं। जब तक देश का एक-एक इन्सान देश के बारे में नहीं सोचेगा तब तक हम कभी भी उस स्तर की मर्यादा को नहीं बना पायेंगे जो प्राचीन काल में इस देश की मर्यादा कायम थी। इस देश की सभ्यता और संस्कृति की परम्पराओं की विचार धाराओं को समाज के कोने-कोने में उजागर कर प्रयत्नशील रहना होगा।’’ तपस्वी मानते हैं कि ‘‘आज देश की कानून व्यवस्था और अफसरशाही ने समाज में लोगों के पारस्परिक संबंधों को विकासित करने की कोई योजना अथवा परियोजना तहेदिल से लागू नहीं की है। सिर्फ आदमी-आदमी को एक दूसरे का शत्रु बना डाला है, जिसमें धर्मगत, जातिगत एवं हिंसा का बोल बाला है जिसकी एक सभ्य समाज में कल्पना करना ही शर्मिन्दगी का असभ्य एहसास कराता है। जहाँ आजादी के पश्चात् एक नयी विचारधारा के आधार पर एक सशक्त, स्वच्छ एवं प्रेम भरे नये समाज का निर्माण किया जाना था, वहीं झूठ, फरेब, स्वार्थ एवं छल-कपट पर आधारित समाज की व्यूह रचना रची जा रही है। यदि ऐसी व्यवस्था ही जारी रही तो इस व्यवस्था की पैदावार ही रसहीन तत्वों से परिपूर्ण फसल हमंे बरबाद कर हमारे सम्बल को खत्म कर देगी। अवसरवादिता एवं छदम राजनीति की काली छाया हमारे देश के लोगों पर नहीं पड़नी चाहिए
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 93-84236-97-7 |
Number of Pages | 96 |
Publication Year | 2015 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-84236-97-7 |
Binding | Hardcover |
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