Author : Dr. Basant Bansal
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 200Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 250
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साहित्य सतत् साधना की व्याख्या है, साधना सतत् शोध का परिणाम। शोध सतत् एवं व्यापक अध्ययन की परंपरा है, अध्ययन, मनन एवं चिंतन का समवेत रूप है। यह तभी संभव है जब अध्येता या पाठक में जिज्ञासा एवं कौतुहलवृत्ति सहृदयता सहित विद्यमान हो। प्राचीन साहित्य इन्हीं तथ्यों एवं परंपराओं का अनुगामी है। उसमें जीवन का रहस्य है, साधना है, अनुभवगम्यता है। वह पाठक को सानिध्य प्रदान कर, उसका संरक्षक बन उसे संस्कारवान बनने संबंधी सन्मार्ग एवं संबल प्रदान करता है। शोध को एक नवीन दिशा देने के उद्देश्य से ही इस पुस्तक में एक नवीन प्रयोग किया गया है। इसमें कुछ अन्य विषयों के शोधपत्रों को स्थान दिया गया है। यह सब प्रथम अंक की सफलता, पाठकों के अपार सहयोग एवं उत्सुकता के उपरांत ही हो सका है। विषय अपने विषयांतरण में सदैव समस्त समाज को समाहित करने की संस्तुति करता है। इस पुस्तक में छपे आदरणीय डाॅ0 पूरनचंद टंडन, डाॅ0 निर्मला शर्मा, डाॅ0 सुभाष सैनी, डाॅ0 अशोक कुमार तथा डाॅ0 अश्वनी कुमार जाँगिड़ जी व अन्य सहयोगी लेखकों एवं शोधार्थियों के शोधपत्रों से निश्चित रूप से भाषा, साहित्य, संस्कृति, संवेदना, संप्रेषण एवं शोध को एक नई दिशा प्राप्त होगी। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से मेरे सहयोगी रहे डाॅ0 कैलाशचंद शर्मा ‘शंकी’ जी का विशेष आभार व्यक्त करता हुआ पुस्तक में छपे लेखकों एवं शोधार्थियों से भविष्य में सहयोग के लिए आशा रखता हूँ कि यह ‘शोधपथ’ की परंपरा अवरूद्ध न हो, अपितु निरंतर गतिशील होती रहे। आप समस्त पाठकों, लेखकों एवं साहित्य बंधुओं के लिए नववर्ष की मंगलकामना के साथ आपके करकमलों में समर्पित यह ‘शोधपथ’। संपादक डाॅ0 बसन्त बंसल
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 93-84312-50-9 |
Number of Pages | 200 |
Publication Year | 2016 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-84312-50-3 |
Binding | Hardcover |
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