Author : Prashant Km. Dixit
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 96Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 150
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लगभग तीन वर्ष पूर्व मुझे एक स्थानीय कवि सम्मेलन में युवा कवि प्रशान्त दीक्षित की संत कबीर पर रचना सुनने का सुअवसर प्राप्त हुआ। रचना और रचनाकार का प्रस्तुतिकरण मुझे उस सम्मेलन में सर्वश्रेष्ठ लगा मुझे और वहीं से मैंने यह अनुमान लगाया कि यह युवा कवि एक दिन अपना नाम अवश्य रोशन करेगा। इसके बाद ‘‘सत्य ही है ईश्वर प्रत्यक्ष, सत्य के पथ पर ही है जीत।’’ सत्य पर रचना सुनी। एक बार ‘प्रशान्त’ मेरे घर आया और मैंने इसकी कई रचानाएँ सुनी। छन्दों में काव्य रचना करने वाला यह युवा कवि मेरठ की पहचान बन चुका है। कन्या भ्रूण हत्या, जनसंख्या वृद्धि, महंगाई, बेरोजगारी, पर्यावरण, जल संरक्षण, प्रदूषण आदि समस्याओं पर कलम चलाने वाला कवि, भक्ति और श्रृंगार की इतनी श्रेष्ठ रचनाएं कर सकता है यह तो आप स्वयं ही ‘प्रशान्त-प्रसून’ पढ़कर जानेंगे। मैं अपनी ओर से व सभी साहित्यकारों की ओर से ‘प्रशान्त’ को व उनके पिता पं0 हरिनारायाण दीक्षित ‘हरि’ को बहुत-बहुत बधाइयाँ देता हूँ। तथा ‘प्रशान्त-प्रसून’ के प्रकाशन की शुभकामनायें देते हुए इस युवा कवि के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। (डा. हरिओम पंवार)|..................................................................................................... कवि प्रशान्त कुमार दीक्षित ‘प्रशान्त’, के काव्य संग्रह ‘प्रशान्त प्रसून’ को पढ़ने के बाद मन की बात कहने की प्रबल मनःस्थिति में मैंने पाया कि प्रशान्त का पारम्परिक लेखन, साहित्य व काव्य के प्रति उसका समर्पण है उसमें भविष्य के एक लोकप्रिय एवं श्रेष्ठ कवि के रूप में स्थापित रचनाकार का रूप स्पष्ट दीख रहा है। वह भविष्य में एक ख्याति प्राप्त यशस्वी कवि बनकर समाज की विभिन्न समस्याओं (कुरीतियों) का काव्य के माध्यम से समाधान प्रस्तुत करेगा। मुझे यह कहने में गर्व का अनुभव हो रहा है कि प्रशान्त मेरा शिष्य है, अध्ययन काल में उसे गीत लिखने गाने तथा संगीत के वाद्य यंत्र बजाने में महारत हासिल थी। काॅलेज के सभी समारोहों में प्रशान्त श्रेष्ठ सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया करता था। प्रस्तुत काव्य संग्रह में प्रशान्त ने विभिन्न विषयों पर विभिन्न प्रकार के छन्दों में कविताएं लिख कर अपनी काव्य प्रतिभा को प्रदर्शित किया है। इस पुस्तक में कवि ने अनेक सामाजिक समस्याओं की ओर काव्य प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया है। देव वन्दना, निर्मल गंगे, पर्यावरण प्रदूषण, कन्या भ्रूण हत्या, माँ, किसान, होली सावन, बचपन, तिरंगा, महाराणा प्रताप, सुभाषचन्द्र बोस, भारत देश, न्याय की देवी, प्रकृति वर्णन, जनसंख्या, गौमाता, चीन की चालाकी, नशा मुक्त भारत आदि अनेक शीर्षकों के अन्तर्गत कविताएं रचकर श्री दीक्षित ने जिस तरह अनूठेपन से काव्य जगत में प्रवेश किया है वह एक प्रशंसनीय प्रयास है। पुष्पित-पल्लवित होकर एक बड़ा वृक्ष बनेगा, मेरा यह अटूट विश्वास है। सत्यव्रत शर्मा पूर्व प्रधानाचार्य नवभारत विद्यापीठ इन्टर काॅलेज, परतापुर, मेरठ
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 93-84312-54-1 |
Number of Pages | 96 |
Publication Year | 2016 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-84312-54-1 |
Binding | Paperback |
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