Uttkarsh Prakashan

Pratigya Uvraj Skandgupt Ki


Pratigya Uvraj Skandgupt Ki

Pratigya Uvraj Skandgupt Ki(Paperback)

Author : Dev Niranjan
Publisher : Uttkarsh Prakashan

Length : 96Page
Language : Hindi

List Price: Rs. 100

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गुप्त युग में अनेक महान एवं यशस्वी सम्राटों का उदय हुआ जिन्होंने अपनी महत्वाकांक्षी विजयों के द्वारा एकछत्र शासन की स्थापना कर दी। समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य व स्कंदगुप्त आदि इस काल के योग्य व प्रतापी सम्राट थे, परंतु मुख्य रूप से इस युग का प्रारंभ समुद्रगुप्त के विजय अभियानों से हुआ तथा इस वंश के अंतिम महान सम्राट स्कंदगुप्त के पश्चात इस स्वर्णिम युग का पतन हो गया। यह पुस्तक उस अंतिम सम्राट स्कंदगुप्त के काल का वर्णन करती है। स्कंदगुप्त के संबंध में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है परंतु उनके समय की दो महान घटनाओं का वर्णन इतिहास में अवश्य मिलता है। प्रथम घटना उस समय की है जब वह युवराज थे और भारत पर उनके पिता श्री कुमार गुप्त का शासन था। कुमारगुप्त के अभिलेखों से पता चलता है कि उनके शासन के प्रारम्भिक वर्ष नितांत शांतिपूर्ण रहे परंतु उनके शासन के अंतिम दिनों में पुष्यमित्र नामक वंश ने गुप्त साम्राज्य के विरूद्ध विद्रोह कर दिया। स्कंदगुप्त के भितरी नामक स्थान पर प्राप्त लेख में इस विद्रोह का कुछ उल्लेख मिलता है। पुष्यमित्रों की सैनिक शक्ति और संपत्ति बहुत अधिक थी। अभिलेख में वर्णन है कि इस विद्रोह से गुप्त वंश की राजलक्ष्मी विचलित हो उठी तथा स्कंदगुप्त को पूरी रात पृथ्वी पर जागकर ही बितानी पड़ी थी। उस समय युवराज स्कंदगुप्त जो उस समय मात्र बीस वर्ष के किशोर थे उन्होने अपने बाहुबल से उनके विद्रोह को भयानक रूप से कुचल दिया और गुप्तवंश के पतन के इस कारण को जड से समाप्त कर दिया था। पुस्तक ‘प्रतिज्ञा’ में राजसत्ता प्राप्ति हेतु उस महत्वकांक्षी विद्रोह की उत्पत्ति, भय व षड़यंत्र द्वारा उसको व्यापक बनाने की महत्वकांक्षा, तात्कालिक भारत पर पडता उसका विनाशकारी प्रभाव और अंत में युवराज स्कंदगुप्त द्वारा प्रतिज्ञा कर साम, दाम, भेद ओर दंड के माध्यम से उस विद्रोह के विनाश का वर्णन है। यदयपि यह पुस्तक पूर्णतः काल्पनिक है परंतु इसमें उस समय के मगध साम्राज्य, सम्राट कुमारगुप्त की नीतियां, भारत में बौद्ध संप्रदाय की स्थिति व उसके साम्राज्य पर बढ़ते प्रभाव आदि मुख्य विषयों का वर्णन सत्य की निकटता से करने का प्रयत्न किया गया है। इसके अतिरिक्त पुस्तक में किशोरावस्था प्राप्त युवराज स्कंदगुप्त के प्रेम और द्वन्दात्मक मनोस्थिति का वर्णन भी किया गया है।

Specifications of Pratigya Uvraj Skandgupt Ki (Paperback)

BOOK DETAILS

PublisherUttkarsh Prakashan
ISBN-10978-81-92-1666-2-3
Number of Pages96
Publication Year2013
LanguageHindi
ISBN-13978-81-92-1666-2-3
BindingPaperback

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