Author : Renu Juneja
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 96Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 150
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गिरते हैं शै सवार वो तिफल क्या गिरंेगे जो घुटनों के बल चले। रंग लाती है हिना पत्थर पे घिस जाने के बाद सुरख रूह होता है इंसा ठोकरें खाने के बाद। सामान सौ बरस का कल की खबर नहीं। ............. मेहनत से जो भी बनो, उस पर टिके रहो । अपने उसूलों के मुताबिक अपना गुरु ढूंूंढों नहीं मिलें तो अपना गुरु ख़ुद बन जाओ । अकेले चलो, अकेले चलना सीखों । अपने काम को पूर्णरुपेण समर्पित हो जाओ । अपने क्षेत्र के ऊँचें उसूलों को अपना उसूल बनाओ उस पर शत-प्रतिशत चलो मंजिलें स्वयं तुम तक आयेंगी। शुभकामनाएँ--- सफरनामा या यात्रा व्रितांत गद्य की ऐसी विधा है जो इंसान को घर बैठे उन जगहों पर ले जाती है जहां उसका जाना भी संभव नहीं। उस जमाने की जानकारी मिलती है जो गुजर चुका। केवल एक सफरनामा, बहुत सुन्दर और भावपूर्ण है । बंटवारे के समय की तल्खियाँ भी हंै, जीवन की सच्चाई और पारिवारिक खट्टी मीठी यादें भी बड़े उम्दा अंदाज में बयान की गई हैं। मुझे उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि ये किताब साहित्य जगत में प्रशंसा हासिल करेगी। --डाॅ. नामवर सिंह (प्रख्यात आलोचक एवं साहित्यकार)
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9789384312541 |
Number of Pages | 96 |
Publication Year | 2016 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 9789384312541 |
Binding | hardcover |
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