Author : Aanad Vishwas
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 152Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 150
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बालक अदम्य शक्ति और ऊर्जा के स्रोत होते हैं और यदि उन्हें सही मार्ग-दर्शन और सही दिशा मिले तो उनके लिए कुछ भी कर पाना मुश्किल नहीं होता है। इस उपन्यास में बालिका आरती हर घटना का मुख्य केन्द्र है। उपन्यास की हर घटना बहादुर बेटी आरती के इर्द-गिर्द ही घूमती है। देश और समाज में व्याप्त असन्तोष के प्रति आरती के बाल-मन में तीब्र आक्रोश है और वह उसके समाधान का हर सम्भव प्रयास करती है। बाल-मन निर्मल, पावन और कोमल होता है। स्लम-एरिया में रहने वाले गरीब बच्चों के बचपन की दयनीय स्थिति को देखकर आरती का भावुक बाल-मन विचलित हो उठता है और वह अपने मित्र से कहती है-“रॉनली, इनकी गरीबी का कारण कुछ भी हो सकता है, पर मैं इनके बचपन को मरने नहीं दूँगी। मुझे हर कीमत पर इन गरीब बच्चों के फूल से कोमल बालपन को बचाना है। इन्हें भी तो अपने पढ़ने-लिखने और अपने स्वर्णिम-भविष्य के निर्माण का उतना ही अधिकार है जितना कि हम सबको है।” वह अपने बाल-मित्रों के साथ मिलकर बचपन फॉउन्डेशन के तत्वावधान में अनेक चैरिटी-शो का आयोजन करती है और उस धन-राशि से वह फ्री-रैज़ीडेंशियल स्कूलस् की स्थापना करती है। उस स्कूल का उद्घाटन स्वयं पीएम श्री करते हैं और बहादुर बेटी के अदम्य साहस से प्रेरणा लेकर स्वयं पीएम श्री ने हर स्टेट में एक-एक, ऐसे ही फ्री-रैज़ीडेंशियल स्कूलस् की स्थापना करने का मन बनाया। अप्रत्याशित घटना पठनीय है। बहादुर बालिका आरती ने अपनी सूज-बूझ और दूरदर्शिता से पीएम श्री के ड्रीमलाइनर विमान को हाईजैकर आतंकवादियों के चंगुल से बड़ी ही कुशलता से मुक्त कराया। और अपने इस नैतिक कर्तव्य पालन करने का परिणाम भी उसे भुगतना पड़ा। हुआ यह कि एक दिन स्कूल से घर आते समय आतंकवादियों ने उसका ही किडनैपिंग कर लिया और फिर उसे घाटी में अपने आतंकी अड्डे पर ले जाकर बंधक बना लिया। अनेक आतंकवादी अड्डे, ट्रेनिंग कैम्पस् और हथियारों के एक बहुत बड़े जख़ीरे को आरती ने अपनी सूज-बूझ और दूरदर्शिता से तहस-नहस कर घाटी को आतंकवादियों से मुक्त कराया। घाटी के लोगों को पुस्तक और पेन की शक्ति का एहसास करा कर घाटी की दशा और दिशा ही बदल देती है। एके-47 थामने वाले हाथों में अब ऐंड्रॉयड-वन आ चुके थे। उनके सशक्त युवा-हाथों की अँगुलियाँ अब रायफल के ट्रिगर के साथ नहीं, कॉम्प्यूटर के की-बोर्ड के साथ में खेलने लगीं थीं। उन्हें माउस की शक्ति और इन्टरनैट की चकाचौंध दुनियाँ का आभास हो चुका था। घाटी का समाज विकास की दौड़ में दौड़ पड़ा था क्योंकि नारी और नारी-शक्ति आज उसके साथ थी। रैड-ब्लड जोन आज विदेशी इन्वैस्टर्स के लिए रैड-कारपेट बिछा चुका था। उपन्यास की हर घटना रोचक बन पड़ी है। प्रेस और मीडिया को दिया हुआ इन्टरव्यू बड़ा ही प्रेरणादायक है। तभी तो बहादुर बेटी आरती बोल रही थी और पीएम का मन पिघल रहा था। इस उपन्यास की हर घटना सभी वर्ग के पाठकों को चिन्तन, मनन और सोचने के लिये विवश करेगी। कोमल बाल-मन में अच्छे संस्कारों का सिंचन करेगी, युवा-वर्ग का उचित पथ-प्रदर्शन करेगी और उन्हें एक नई दिशा देगी। ऐसा मेरा विश्वास है। अस्तु। -आनन्द विश्वास
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-423695-0 |
Number of Pages | 152 |
Publication Year | 2015 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-9-38-423695-3 |
Binding | Paperback |
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