Uttkarsh Prakashan

Nagkanya


Nagkanya

Nagkanya(Paperback)

Author : Pramod Kumar Shotriya
Publisher : Uttkarsh Prakashan

Length : 112Page
Language : Hindi

List Price: Rs. 150

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खण्डकाव्य- ‘नागकन्या’ महाभारत के प्रसंग से ही बीजरूप में आकार लेकर पल्लवित पुष्पित फलित हुआ है। ‘नागकन्या’ एक ऐसी ही महाभारत की पात्र है जो न केवल विद्वत्समाज में उपेक्षित रही अपितु अनेक बार तिरस्कृत भी हुई। जन्मनः नागवंश की होने के कारण उसे कभी वह सम्मान व यश नहीं मिल सका जो उसके त्याग और बलिदान को प्रकाशित कर सके। महान पराक्रमी धनुर्धर वीर अर्जुन की पत्नी होने के बाद भी वह आदर नहीं पा सकी। उसके सत्कार्यों को ऐसा प्रतीत होता है कि स्वयं उसकी जातिगत एवं वंशगत सामाजिक अवहेलना ही डसती रही। युवावस्था से जीवन के अन्तिम क्षणों तक उसे शापित दंश झेलना पड़ा। वैधव्य की विकलता से विवश हो उलूपी के पिता ने उलूपी का विवाह अर्जुन से करवाया, तथापि उसे अर्जुन का अत्यल्प ही सौभाग्य सानिध्य मिल सका। सौभाग्यवती होते हुए भी निराश्रित जीवन जीना पड़ा। पुत्र का बलिदान महाभारत के युद्ध में हुआ। पुनः अर्जुन को शापमुक्त कराने के लिए सौतेले पुत्र एवं पति के मध्य प्राणान्तक युद्ध के लिए प्रेरणा व उत्साहित करने जैसा अपयश व लांछनयुक्त कर्म करना पड़ा। अन्त में अर्जुन आदि पाण्डवों के स्वर्गारोहण के उपरान्त भी उपेक्षित व दुःखद क्षणों का वरण किया। उलूपी नागकन्या होते हुए भी उस सामान्य भारतीय नारी का प्रतिनिधित्त्व करती है जो मानव समाज में पीयूष रसधार को अजस्र एवं कल्याणकारी बनाये रखने के लिए विषतत्व को स्वयं में निहित रखती हैं। ताकि संसार को विनाश की अग्नि से उबार कर सबको शीतलता की चन्दन बयार मिले। उर की दाहकता को स्वयं में अवस्थित रखती है और समाज से उन्हें उपेक्षा ही मिलती है।

Specifications of Nagkanya (Paperback)

BOOK DETAILS

PublisherUttkarsh Prakashan
ISBN-109-38-431296-7
Number of Pages112
Publication Year2016
LanguageHindi
ISBN-139789384312961
BindingPaperback

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