Uttkarsh Prakashan

Rajbhasha Hindi Prayog Aivam Samasyayen


Rajbhasha Hindi Prayog Aivam Samasyayen

Rajbhasha Hindi Prayog Aivam Samasyayen(hardcover)

Author : Moh. Majid Miya
Publisher : Uttkarsh Prakashan

Length : 136Page
Language : Hindi

List Price: Rs. 250

Discount Price Rs. 200

Selling Price
(Free delivery)



इतिहास के पृष्ठों पर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा भाषा का प्रश्न अलग-अलग सा प्रतीत होते हुए भी एक ही लक्ष्य बिन्दु पर पहुँचने वाले दो ऐसे मार्ग हैं जो स्वतन्त्रता प्राप्ति के साथ ही एक-दूसरे में समाहित होते दिखाई देते हैं। इसके साथ-साथ हिन्दी भाषा का आंदोलन मुख्यतः दो क्षेत्रों में प्रविष्ट होकर दो धाराओं में गतिशील होता है। एक धारा है साहित्यिक परिवेश में खड़ी बोली तथा दूसरी धारा राजनीति के बीच अंग्रेजी के खिलाफ ‘निजभाषा’ के रूप में हिन्दी आंदोलन की कड़ी है। राजनेताओं ने अपनी पैनी दृष्टि और कुशाग्र बुद्धि से जहां विदेशी शासकों के चंगुल से देश को स्वतंत्र करने का आंदोलन चलाया वहीं मानसिक गुलामी से उबरने के लीए निजभाषा को अपनाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान की आवश्यकता महसूस की, परंतु भ्रमवश इस आंदोलन को तत्कालीन विद्वानों एवं आंदोलनकारियों ने ‘राष्ट्रभाषा आंदोलन’ की संज्ञा दे दी। इस संज्ञा ने इतना सशक्त रूप धारण कर लिया कि परवर्ती सभी विद्वानों ने भी इसे ‘राष्ट्रभाषा आंदोलन’ कह दिया। आंदोलन के प्रणेता व नायक राष्ट्रपिता ने भी हर मोड़ पर, हर मंच से हिन्दी के लिए राष्ट्रभाषा शब्द का प्रयोग किया। इसी आधार पर तत्कालीन व परवर्ती विद्वानों द्वारा ‘राष्ट्रभाषा हिन्दी की समस्याएँ व समाधान’ पर खूब चर्चा की गई। यदि विषय की गहराई व घटनाओं का समीप से अवलोकन करें तो एक बिन्दु जो स्पष्ट रूप से उभरकर आता है, वह है कि इस आंदोलन की जड़ अंग्रेज शासकों के खिलाफ स्व-शासन व भारतीय प्रशासन में आरोपित राजभाषा के रूप में अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी को बिठाने के उद्देश्य से इसको अनुप्राणित करना और अंततः स्वाधीन भारत के संविधान में हिन्दी को राजभाषा का पद दिया जाना, इस बात को प्रमाणित करता हैं कि हिन्दी का यह आंदोलन राष्ट्रभाषा का नहीं बल्कि राजभाषा का आंदोलन रहा है। आम जनता की भाषा होने के कारण राष्ट्रभाषा के रूप मे तो हिन्दी अपना स्थान पहले से ही बनाए हुए थी मगर उसे शासन में प्रवेश करने के लिए फारसी व अंग्रेजी से जो संघर्ष करना पड़ा वह राजभाषा के रूप में रहा है। भारत के संविधान द्वारा राजभाषा के पद पर आसीन होने के कारण हिन्दी का प्रयोजनमूलक रूप अत्यधिक उपयोगी तथा सक्रिय होने के साथ उसके प्रगामी प्रयोग की अनेक नई दिशाएँ उद्घाटित हुई है। अतः राजभाषा हिन्दी के बारे में भारत के संविधान तथा उसके प्रावधान के अंतर्गत निर्मित राजभाषा अधिनियम 1963, राजभाषा (संशोधन) अधिनियम 1967, राजभाषा नियम 1976 तथा अन्य कानूनी प्रावधानों की चर्चा एवं विश्लेषण आवश्यक हो जाता है।

Specifications of Rajbhasha Hindi Prayog Aivam Samasyayen (Hardcover)

BOOK DETAILS

PublisherUttkarsh Prakashan
ISBN-109-38-431259-2
Number of Pages136
Publication Year2016
LanguageHindi
ISBN-139789384312596
Bindinghardcover

© Copyrights 2013-2024. All Rights Reserved Uttkarsh Prakashan

Designed By: Uttkarsh Prakashan