Author : Dr. Maya Singh 'maya'
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 96Page
Language : Hindi
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काव्य संग्रह ‘धड़कन माटी की’ मेरी रचनाओं का पाँचवा पुष्प है । जिसमें गीत, ग़ज़ल, मुक्तक केवल तीन ही विधाओं की रचनाएँ हैं । मन रोया तो गीत निकला, रूह रोयी तो ग़ज़ल । मेरी साँसों की धड़कनों से निकले मुक्तक भी समय-समय पर अपना दर्द कहते रहे हैं । यह सब आसमां देखता रहा, कभी पूछा उसने तू तड़पती क्यों है ? तपती क्यों है ? प्यासी धरती ने माटी की चटकती परतें दिखाकर अपनी प्यास जाहिर की । ‘धड़कन माटी की’ देख आकाश द्रवित हो अपनी कोख से बादल को निकाल कर बोला- बरस तू इतना बरस कि बाढ़ आ जाए । बादल बरसा, बाढ़ आई ! सब कुछ बह गया । रह गए कुछ गिरे पेड़, कुछ घर, कुछ बिखरा सामान ! टूटी कश्ती, कुछ लाशें- जिनमें कुछ ये लोग- जिनके नाम थे- मानवता, धर्म, अहसास, वफ़ा, अपनापन, सहयोग, सद्भावना, सुनामी आई थी- क्या कहा ? जो प्रलय मचा गई । किसने कहा इस सुनामी को सुनामी, रंगी को नारंगी, सब कुछ उल्टा-पुल्टा, भूखे को दीवाना, जाने को अन्जाना, सीधे को मूर्ख, सच्चाई को पागलपन, कुरबानी को नादानी, सब उथल-पुथल, घुटती हैं साँसें, यहाँ घुट जाती है विद्वता, जीवन और मृत्यु के बीच में जीत जाती है चालाकी, जीत जाता है दन्द-फन्द, जीत जाते हैं बहुरूपिये । यही सब है इस ‘धड़कन माटी की’ में !
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9384236683 |
Number of Pages | 96 |
Publication Year | 2015 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 9789384236687 |
Binding | Paperback |
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