Author : Kari Sadham Hussain
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 96Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 100
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सद्दाम मैं हूँ नाबीना पैदाइशी मगर दिल को मिली है रोशनी परवर दिगार से! इसमें कुछ शक नहीं कि सद्दाम साहब की शख्सियत दुनिया में अनेक खूबियों की हामिल हैं जिसमें से एक ख़ूबी काग़ज़ की ज़मीन पर शायरी की शक्ल में आपके सामने है ! जो दर्द में भी मज़ा देती है! शैर- दूर और नज़दीक का ये वास्ता क्या चीज़ है इश्क में तन्हा ही चलिए क़ाफला क्या चीज़ है एक पल में पा गया आराम उल्फत का मरीज़ दामने महबूब की ठंडी हवा क्या चीज़ है ! मैं ईश्वर से उनकी उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ ! -डा. कुँवर बेचैन कायनाते अदब में सूफ़ियाना शाइरी को फ़रोग बख्शने वाले शाइर क़ारी सद्दाम मज़हबों मिल्लत के साथ अवाम (मौजूदा समाज) के लिए ख़ुलूसो-मुहब्बत की शाइरी भी करते हैं । आप मुख़्तलिक रंगो-आहंग के शाइर हैं । कम लफ़्ज़ों में बहुत कुछ कह जाना उनकी शाइरी की पहचान है। आपने अपनी शाइरी में तसब्बुफ़ (अध्याक्त) के पहलू पर ही ज़्यादा ध्यान दिया है । फिर भी हुब्बुल वतनी और आम आदमी का दर्द भी उनकी ग़ज़लों में उभर कर आया है । कारी सद्दाम ने ग़ज़ल को उसके क़दीम लिबास में ही नये अंदाज़ से सँवारा और सजाया है । कहीं-कहीं समाज में इन्सान के गिरते हुए किरदार और सियाही ढाँचे की बद इंतजामी की बावत एहतिजाज (अहित की आशंका से रोष) दिखाई देता है । जैसे- छोड़कर हिर्सो हवस दामन वफा का थाम लो आखि़रत में काम आयगा यही सौदा फक़त ! क़ारी ‘सद्दाम’ की ग़ज़लों में वो तमाम ख़ूबियाँ पाई जाती हंै जिनकी उम्मीद बहतरीन ग़ज़लकारों से की जाती है । क़ाफ़िया, रदीफ़ और औज़ान के उस्तादों की आज कोई कमी नहीं है । लेकिन सच्चा ग़ज़लकार वही होता है जिसके अशअ़ार लोगों के दिलों-दिमाग़ पर छा जाएँ । ऐसी शाइरी के लिए शाइर का दर्दमन्द होना ज़रुरी है । वक़ौल अकबर इलाहाबादी दर्द को दिल में जगह दे अकबर इल्म से शाइरी नहीं होती । -डा0 रसूल अहमद ‘सागर’
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9384236837 |
Number of Pages | 96 |
Publication Year | 2015 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 9789384236830 |
Binding | Paperback |
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