Uttkarsh Prakashan

Khamoshiya Jinda Rahe


Khamoshiya Jinda Rahe

Khamoshiya Jinda Rahe(paperback)

Author : Anil Kumar Kulshreshtha
Publisher : Uttkarsh Prakashan

Length : 104Page
Language : Hindi

List Price: Rs. 200

Discount Price Rs. 160

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कई दशक बीत गये कवितायें लिखते, ग़ज़लें लिखते हुए। सत्तर-अस्सी के दशकों में आगरा में कुछ साहित्यिक संस्थाओं से भी जुड़ा रहा। मंच पर भी पढ़ने के अवसर मिले। गोष्ठियों में भी जाता रहा। तब एक उपनाम भी रखा हुआ था- ‘अनुरागी’ जिसे धीरे-धीरे छोड़ दिया। हो सकता है इस संग्रह की कुछ ग़ज़लों में वह उपनाम भी नज़र आए। यदा-कदा कुछ रचनायें प्रकाशित भी हुईं, मगर ज़्यादा नहीं, क्योंकि मैं स्वयं ही उस ओर से उदासीन रहा। वस्तुतः नौकरी का दबाव ज्यों-ज्यों बढ़ता गया, साहित्यिक गतिविधियां शिथिल होती गईं। कुछ रचनायें हिंदी पत्रिका ‘सरिता’ में छपी थीं और कुछ भारतीय स्टेट बैंक की गृह-पत्रिकाओं में, जहाँ मैं नौकरी में रहा। नवम्बर 2013 में जीवन-संगिनी का साथ छूट जाने तथा सेवा-निवृत्त हो जाने के बाद काफी समय बेटे के पास सिंगापुर में व्यतीत होने लगा। वहाँ रहने के दौरान मुलाकात हुई डाॅ. त्रिलोक सिंधवानी से जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर एक बड़े लेखक हैं। उनकी ही प्रेरणा के परिणाम स्वरूप यह ग़ज़ल-संग्रह आपके हाथों में है। मैं आभारी हूँ डाॅ. सिंधवानी का जिन्होंने मेरी सोच को एक नई दिशा दी, यह कहकर कि रचनाएं सभी के सामने आनी चाहिये, पता नहीं किसे और कब आपकी रचनाओं में अपने लिये कुछ उपयोगी मिल जाए। इसी सोच के साथ मैंने प्रस्तुत ग़ज़ल-संग्रह को प्रकाशित कराने का निर्णय लिया। साथ ही मैं भाई असद निज़ामी और प्रतिभा मंच फाउंडेशन का आभार प्रकट करता हूँ जिनकी वजह से इस संग्रह का प्रकाशन संभव हो सका। मैं स्वयं अपने लेखन को दो दौर में बांट सकता हूँ। पहला दौर 1975 से 1990 तक व दूसरा 2006 के बाद। बीच की अवधि शिथिलता की अवधि थी। प्रस्तुत संग्रह में पहली सत्रह ग़ज़लें मेरे प्रारम्भिक दौर की हैं इसलिये सम्भव है कि कुछ लोगों को भाषा, मिजाज़, तेवर आदि की दृष्टि से उनमें ख़ामोषियाँ ज़िंदा रहें और बाद की ग़ज़लों में कुछ फर्क महसूस हो। लेकिन वह अपने समय व तत्कालिक सोच का आईना है। कुछ ग़ज़लें ऐसी भी हैं जो फ़िलबदीह मुशायरे (तत्काल रचना) में कही गयी थीं इसलिये उनमें एक मिसरा जिस पर कि ग़ज़ल कही जानी थी ज़ाहिर है मूल रूप से किसी अन्य शायर-शायरा ने कहा होगा। मैं उन ज्ञात अथवा अज्ञात शायर-शायरा का तहे दिल से आभारी हूँ जिनका एक मिसरा मेरी पूरी ग़ज़ल का आधार प्रेरणा स्रोत बना। उम्मीद करता हूँ कि प्रबुद्ध पाठकगण ग़ज़लों का आनंद उठायेंगे। मैं आभारी रहूँगा, अगर रचनाओं पर अपनी राय से भी मुझे पत्र/ईमेल द्वारा अवगत करा सकेंगे। -अनिल कुलश्रेष्ठ

Specifications of Khamoshiya Jinda Rahe (Paperback)

BOOK DETAILS

PublisherUttkarsh Prakashan
ISBN-109-38-431239-8
Number of Pages104
Publication Year2017
LanguageHindi
ISBN-13978-9-38-431239-8
Bindingpaperback

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