Author : Sanjay Kaushik Vigyat
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 112Page
Language : Hindi
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हाइकु विधा 5,7,5 वर्णक्रमानुसार स्थापित करके क्षण भर की झलक को 3 पंक्तियों में लिखना होता है, मूलतः जापान की यह विधा जापान की न होकर समूचे विश्व की हो चली है। हिंदी हाइकुकारों ने भी जापानी कवि बाशो, बुसेन, इस्सा, शिकि, आदि का अनुकरण करते हुए इस विधा में जम कर लिखा है। जिन्होंने हाइकु के मर्म को अनेक तरीके से समझा व जाना है, कहीं तुकांत प्रथम व तृतीय पंक्ति में समानंत लिखे जा रहे हैं तो कहीं तुकांत को हाइकु विधा से दूर रखा जा रहा है। प्रकृति पर लिखे गए हाइकु वर्तमान छवि को देख चित्रण पर आधारित 5,7,5 पर लेखन को हाइकुकार उत्तम हाइकु मानते हैं तो अन्य को शेनर्यु कहते हैं चित्र पर लिखते हैं टी हाइगा, इस प्रकार मैं इस बहस को यहीं विराम देते हुए अपने विषय पर आगे बढ़ता हूँ। आज हाइकु हिंदी साहित्य की आधुनिक विधा में अपना विशेष स्थान बना चुका है, यह विधा बहुत अधिक लोकप्रिय हो चुकी है, आजकल इसे विश्वविद्यालयों में भी पढ़ाया जाने लगा है, विद्यार्थी जितनी तन्मयता से इसे सीखते हैं, उतनी ही दिलचस्पी लेकर हाइकु लिखा जा रहा है। हजारों स्वतंत्र संग्रहों का छप जाना इस कथन को मजबूती भी प्रदान करता है। समय-समय पर हाइकु विषय को लेकर चर्चाएं गोष्ठी स्वरूप आयोजित होने लगी हैं। हाइकु के शिल्प पर चर्चाएं बारीकियों से समझने और समझाने की प्रक्रिया होती है इन सभाओं से प्रेरित होकर प्रतिभागी नव सृजन के लिए आगे बढ़ते हैं इन सभाओं में ही निर्णय लिए जाते हैं कि कौन सी 5,7,5 की 3 पंक्तियाँ हाइकु की श्रेणी में, कौन सी 5,7,5 की 3 पंक्तियाँ हाइगा की श्रेणी में और कौन सी 5,7,5 पर 3 पंक्तियाँ शेनर्यु की श्रेणी में रखी जाएगी। यह इस विधा के प्रचार-प्रसार को भी एक अभियान की तरह समझा जा सकता है। जो हाइकु के भविष्य के लिये सकारात्मक सोच की द्योतक हैै।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-728914-1 |
Number of Pages | 112 |
Publication Year | 2017 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-9-38-728914-7 |
Binding | hard cover |
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