Uttkarsh Prakashan

Haiku Manjusha


Haiku Manjusha

Haiku Manjusha(HardBound)

Author : Pradeep Kumar Dash Deepak
Publisher : Uttkarsh Prakashan

Length : 456Page
Language : Hindi

List Price: Rs. 500

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सैंकड़ों हाइकुकारों के उत्कृष्ट हाइकुओं का अनूठा संकलन ....इस पुस्तक में हाइकू ज्ञान भी है और मनोरंजक प्रेरणा देते हजारों हाइकू ......एक बानगी देखिये .....‘हाइकु’ एक छंद नहीं वल्कि यह सत्रह अक्षरीय त्रिपदी मुक्तक कविता है। हाइकु को छंद कहना इसलिए अनुचित होगा क्योंकि यह एक मुकम्मल कविता है, अस्तु इसमें काव्यात्मक अनुभूति प्रथम व अनिवार्य शर्त है। जापान में श्रंखलित पद्य रेंगा से मुक्त होकर ‘होक्कु’ एक स्वतंत्र काव्य रूप में ‘हाइकु’ के नाम से प्रतिष्ठित हुआ। जापानी साहित्य का आरम्भ कोजिकि से होता है, इसकी रचना 08वीं शताब्दी रचना काल 742 ई0 माना जाता है। कोजिकि के पश्चात् ‘मान्योशू’ जापान का सबसे प्रथम कविता संकलन है, जिसमें तीसरी-चैथी शताब्दी से ले कर आठवीं शताब्दी तक के लगभग 260 कवियों की 4515 कविताएँ संकलित हैं। ‘मान्योशू’ की अधिकांश कविताएं चोका, सेदोका व ताँका रूपों में प्राप्त होती हैं...... 1. चोका (5-7 वर्णों की आवृति एवं अंत में एक ताँका रूप) 2. सेदोका (5-7-7-5-7-7 वर्णक्रम की षटपदी कविता) 3. ताँका (5-7-5-7-7 वर्णक्रम की पंचपदी कविता लघुगीत) मान्योशू का काल जापान के इतिहास में ‘नारा युग’ के नाम से अभिहित है। आगामी चार सौ वर्ष अर्थात् 800 ई.-1200 ई. का कालखण्ड ‘हेइआन युग’, 1100 ई. से 1333 ई. का कालखण्ड ‘कामाकुरा युग’ और 1335 ई. से 1573 ई. का कालखण्ड ‘मुरोमाचि युग’ के नाम से विभाजित है। मुरोमाचि युग में रेंगा पद्धति प्रतिष्ठित हो चुकी थी। रेंगा की प्रारंभिक तीन पंक्तियाँ ‘होक्कु’ कहलायी एवं ‘होक्कु’ अथवा ‘हाइकाई’ रेंगा बंधन से मुक्ति प्राप्त कर स्वतंत्र कविता के रूपमेंप्रतिष्ठापित हुआ और ‘हाइकु’ के नये नाम से जापानी काव्य की एक महत्वपूर्ण विधा के रूप में विकसित होने लगा और आज यही विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय काव्य विधा के रूप में स्थापित है। हाइकु के प्रारंभिक कवि यामाजाकि सोकान (1465 ई.-1563 ई.) और आराकिदा मोरिताके (1472 ई.-1549 ई.) इन दोनों की हाइकु कविताओं में उन्मुक्त उड़ान व अर्थ गांभीर्य देखने को मिलते हैं। 17वीं शताब्दी (1570 ई.-1653 ई.) में मात्सुनागा तेइतोकु एवं निशियाना सोइन (1604-1682) हाइकु की ‘दानरिन धारा’ का प्रवर्तन किये। हाइकु के इतिहास में एक अन्य महत्वपूर्ण नाम ओनित्सुरा (1660-1738) का है। इन सभी की हाइकु कविताएँ बाशो के पूर्व की हाइकु कविताएँ हैं। हाइकु को काव्य विधा के रूप में प्रतिष्ठा प्रदान करने वाले का प्रमुख श्रेय जापानी कवि मात्सुओ बाशो (1644 ई. 1694 ई.) को जाता है। इन्होंने किगिन का शिष्य बन कर रेंगा और हाइकु की शिक्षा ग्रहण की। चीनी साहित्य का भी इन्होंने गहन अध्ययन किया था। हाइकु शिक्षक को इन्होंने अपनी आजीविका बना लिया। हाइकु के विकास में इनकी कविताएँ युगान्तकारी रचनाएँ मानी जाती हैं।

Specifications of Haiku Manjusha (HardBound)

BOOK DETAILS

PublisherUttkarsh Prakashan
ISBN-109-38-728964-8
Number of Pages456
Publication Year2018
LanguageHindi
ISBN-139789387289642
BindingHardBound

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