Author : Jaihind Prasahar
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 96Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 150
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जब धर्मांध और जात-पात का कुहासा मानवता और इंसानियत के मूल्यों और उसूलों की धरती और उजाले को दिन-प्रतिदिन ढकता हुआ पाया गया। जब निजी स्वार्थों का धुआं इस कुहासे के आवरण के रूप में बढ़कर राष्ट्रहितों और मूलधर्म के सिद्धान्तों के आसमान को लगातार ढ़कते हुए पाया गया तो दिल और दिमाग में बहने वाली राष्ट्रधर्म और सनातन धर्म के दोनों किनारों के बीच बहने वाली प्रेम और समर्पण की भागीरथी में पीड़ाओं की सुनामी आनी लाजमी थी। उसी सुनामी का विकराल रूप है यह पुस्तक हिन्दू धर्म के पतन कारक-3
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-815511-4 |
Number of Pages | 96 |
Publication Year | 2018 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-88155-11-3 |
Binding | paperback |
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