Author : Dr. Shikha Kaushik Nutan
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 120Page
Language : Hindi
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‘रामायण’ श्री राम का चरित सम्पूर्ण जगत को अनंतकाल से आदर्श आचरण की शिक्षा प्रदान करता आया है। मानव को जीवन की हर परिस्थिति में कैसा आदर्श आचरण करना चाहिए- ‘रामायण’ हमें इसी के सम्बन्ध में निर्देश देती है। ‘रामायण’ का हर पात्र हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है। भूतल के प्रथम काव्य रूप में श्री रामकथा की दिव्य-धारा युगों-युगों से निरंतर बहती आयी है और बहती रहेगी। है तीन सौ से अधिक ‘रामायण’ महाकाव्यों की रचना विभिन्न भाषाओं में की जा चुकी हैं। महर्षि वाल्मीकि द्वारा संस्कृत भाषा में रचित आदि महाकाव्य ‘रामायण’ युग की सीमाओं का अतिक्रमण करता हुआ, गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा (आरम्भ विक्रम संवत 1631 व पूर्ण विक्रम संवत 1633) हिंदी की जनप्रिय काव्य-भाषा अवधी में ‘श्रीरामचरितमानस’ के शुभ नाम से रचा जाकर ‘मंगल भवन अमंगल हारी’ बनकर आज भी हर कंठ में समाया हुआ है। श्री राम के समान ही उनकी प्राणप्रिया माता सीता हमारी श्रद्धा की परमप्रिय पात्र हैं।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-815521-1 |
Number of Pages | 120 |
Publication Year | 2018 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-88155-21-2 |
Binding | HardBound |
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