Author : Dr Jagdish Chandra Sitara
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 60Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 100
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किसी भी आत्मकथा का जन्म कहीं न कहीं मानव के आंतरिक उद्वेलन का द्योतक है । आत्मकथा वाले नायक का जीवन उसका अपना नहीं होता उसके साथ जीव-निर्जीव और मानवीय पात्र जुड़ जाते हैं । वाह ! मेरी ज़िन्दगी भी एक ऐसी ही आत्मकथा है जिसका संबंध कहीं न कहीं मानवीय जीवन से जुड़ा है । इस कथा का जन्म भी रोचक पूर्ण है वैसे भी आत्मकथाएँ यों ही जन्म नहीं लेती कहीं न कहीं आत्म लेखक का अपना अस्तित्व के साथ जुड़ा होता है । इस आत्मकथा का घटनाक्रम बड़ा ही रोचक है । यह पुस्तक आपके समक्ष है आप खुद ही समझ सकते हैं कि किस प्रकार एक कुत्ते की ज़िन्दगी इंसान से बदतर है और इसके पीछे इस समाज का पूरा हाथ है इस सभी समाज के बीच में जो इज्जत एक कुत्ते को मिलती है उसी समाज में इंसान को पल-पल मरना पड़ता है या फिर यों कहें कि सभी समाज के बीच इंसान को पल-पल बेइज्जती का सामना करना पड़ता है और वह सोचता है कि इस नरक पूर्ण ज़िन्दगी से तो अच्छा कुत्ते का ही जीवन है और यह सुनकर कुत्ता गर्व का अनुभव करते हुए कहता है- ‘वाह ! मेरी ज़िन्दगी’ ।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-815526-2 |
Number of Pages | 60 |
Publication Year | 2018 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-88155-26-7 |
Binding | paperback |
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