Author : Jaihind Prashar
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 96Page
Language : Hindi
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नारी- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ -2 बेटियों को पढ़ाना-लिखाना बहुत जरूरी है मगर इसी के साथ-साथ उन्हें सीता जैसे संस्कार सावित्री सी पतिव्रत शिक्षा तथा घरेलू कामकाज का ज्ञान भी देना बड़ा जरूरी है।आज के वैज्ञानिक युग में मैडम क्यूरी से लेकर कल्पना या सुनीता विलियम जैसी अनेकों वैज्ञानिक हस्तियाँ नारी समाज का प्रतिनिधित्व करती दिखायी देती हैं। आधुनिक काल की शासन प्रणाली लोकतंत्र में भी नारियों ने मार्गरेट थैचर,श्रीमती इंदिरा गाँधी, भंडारा नाइके ने अपने विशिष्ट रूप में नेतृत्व क्षमता की अमिट छाप छोड़ी और आज भी कई नेत्रियाँ अपनी कुशल क्षमता से राष्ट्राध्यक्षों के पदों पर शोभायमान हैं। इन सब के होते हुए भी, नारी के प्रति समाज की हीन भावना देखने को मिलती है। यहाँ की नारी के बाल कन्या रूप को भी सामाजिक विद्रूपता का शिकार होना पड़ता है। कन्या भ्रूण हत्या, कन्या अशिक्षा, बाल विवाह, देह व्यापार की ओर धकेल देना आदि । कवि अपनी कलम से नारी के आदर्श और सशक्त रूप को अपने काव्य में व्यक्त कर जहाँ एक ओर आत्म विभोर दिखायी देता है वहीं आधुनिक समाज में उसके अधोपतन को महसूस करता है और इस पतन में जाने अनजाने उसकी सहभागिता को महसूस करता है। इस गर्त में इस नारी की दृढ़ इच्छा शक्ति और जागरुकता ही उसे बाहर निकल सकती है। इसी कारण वहीं नारी की घटती संख्या और उसके अधोपतन से चिंतित हो बेटी को बचाने और बेटी को पढ़ाने की बात करता है। जिससे वह समाज की पुनस्र्थापना में अपनी सक्रिय भागीदारी दे सके ।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 978-93-88155-53-3 |
Number of Pages | 96 |
Publication Year | 2019 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-88155-53-3 |
Binding | paperback |
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