Author : Sarita Katiyar
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 112Page
Language : Hindi
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सागर की सरिता, श्रीमती सरिता कटियार जी द्वारा रचित मात्र काव्य ही नहीं अपितु उनके व्यक्तित्व में विद्यमान मुर्शिद के लिए अपार प्रेम सागर का परिचायक है । काव्य संग्रह ‘सागर की सरिता’ भावों से परिपूर्ण अपने इष्टदेव के प्रति समर्पण, भक्ति एवं प्रणय उद्गारों का मानो एक ग्रंथ है। भाव पक्ष इतना सशक्त एवं परिपूर्ण है, इसलिए अन्य काव्य विधाओं एवं शिल्प की ओर ध्यान ही नहीं जाता। सरिता जी अपने हृदय में समाए हुए मुर्शिद का इस तरह आवाह्न करती है- तेरे इश्क में इतनी पागल हुईं हूँ बता दूँ के अब वो समाये कहाँ हैं आगे मटके के लिए कहती हैं- दिन भर भरा भी रहता है बोझ पानी का सहता है कुछ न कोई ले जाएगा सब कुछ धरा रह जायेगा ये उनके भाव पक्ष के साथ-साथ सार्थक दार्शनिक पक्ष भी उजागर करता प्रतीत होता है । रूहानी भाव भी उजागर करते हुए सरिता जी कहती हैं- ज़िन्दगी क्या है ये बताने को रूहानी रास्ता दिया दिलबर राहों में कितने मोड़ आये मगर उसपे चलना सिखा दिया दिलबर -मनमोहन सिंह भाटिया "दर्द लखनवी"
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-929830-X |
Number of Pages | 112 |
Publication Year | 2020 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-89298-30-7 |
Binding | paperback |
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