Uttkarsh Prakashan

Smriti Kiran


Smriti Kiran

Smriti Kiran (Paperback)

Author : Suresh Mandal
Publisher : Uttkarsh Prakashan

Length : 224Page
Language : Hindi

List Price: Rs. 250

Discount Price Rs. 225

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उत्कर्ष प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पूर्णिया (बिहार) निवासी पूर्णिया डिग्री कालेज में एसोसिएट प्रोफ़ेसर एवं सह-रजिस्ट्रार, सहज-सरल मृदुभाषी विनम्र स्वभावी सहयोगी प्रवृत्ति के प्रबुद्ध साहित्यकार कविवर श्री सुरेश मंडल की तीसरी अदभुत काव्य कृति ‘स्मृति-किरण’ एक ऐसा अनूठा दस्तावेज है जिसमें पाठकों को एकसाथ दोहा, मुक्तक और क्षणिकाओं का मिश्रित आनंद मिलेगा और भरपूर प्रेरणा भी...तीन खण्डों में विभक्त इस काव्य पुस्तक की सभी रचनाएँ जहां एक तरफ सुधी पाठकों का स्वस्थ मनोरंजन करती दिखलाई देती हैं वहीं दूसरी तरफ समाज को उत्प्रेरित किये बिना नहीं रहती। कलम के धनी रचनाकार श्री सुरेश मंडल का यह प्रयास निश्चय ही सार्थक सिद्ध होगा और यह पुस्तक हिन्दी साहित्य के काव्य पटल पर अपना स्थान निश्चित करने में सफल होगी। सभी रचनाएँ पाठकों की कसोटी पर ख़रा उतरने के लिए काफी है। इनमें प्रेम भी है, मानवीय भावनाएँ भी हैं, कवि की भावाभिव्यक्ति भी है और मन के उद्गार भी। समाज को सीख देती रचना श्रृंखला में बहुत सादगी के साथ शब्दों का चयन किया गया है जिससे भाषा शैली बहुत ही सुलभ बन पड़ी है जो पुस्तक को अधिक उपयोगी बनाती है। निश्चय ही पाठक इससे लाभान्वित होंगे ................................................................................................................कवि की कलम से ............................................. अब तक की जीवन-यात्रा में मेरा कवि मन पंछी की तरह कभी कल्पना के गगन में उन्मुक्त परवाज़ करता रहा है, तो कभी मीन की भाँति अतीत के असीम सागर को अवगाहता रहा है। कभी जगत-यथार्थ की पथरीली भूमि पर विवश हो चलते-चलते लहू-लुहान होकर चीख उठा, तो कभी मानवता के सुरम्य उपवन में पहुँच रससिक्त होता रहा। कहीं पनाह पाया मैंने, तो कभी दुत्कारा भी गया मुझे। कभी मैं उपेक्षित हुआ, तो कहीं सराहना भी मिली मुझे। कुछ शब्दों में कहूँ, तो सच यही है कि समय से दुलार कम और मार अधिक मिली। नानाविध समस्याओं के सागर और अनवरत संघर्षों के धरातल पर जो भावनाओं के मोती हाथ लगे, उन्हें ही छंदबद्ध और अतुकान्त रचनाओं का स्वरूप देने का सतत् यत्न करता रहा। निःसंदेह इनमें कहीं-कहीं रुक्षता परिलक्षित हो सकती है, पर है तो यह भाव-रस का कलश ही। ------------------------सुरेश मंडल

Specifications of Smriti Kiran (Paperback)

BOOK DETAILS

PublisherUttkarsh Prakashan
ISBN-10978-93-88155-98-4
Number of Pages224
Publication Year2021
LanguageHindi
ISBN-13978-93-88155-98-4
BindingPaperback

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