Author : Vijay Bahadur Pteriya 'betab'
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 120Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 250
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किंवदन्ती अथवा लोकोक्ति जो भी कहें, प्रचलित है- ‘सौ तक गिनती, हा-हा तक गिनती’ भाव के अभाव में उपरोक्त का प्रभाव ही ‘स्वीकृति’ कृति का आविर्भाव है। विनती के वे वर्णद्वय ही अपने संख्यात्मक स्वरूप में ऐसे दोहा छन्द विधा बन साकार हुए, जिनका शास्त्रों, सन्तों एवं लोक में प्रचलित सूक्तियों में अंतर्निहित धार्मिक, नैतिक, सामाजिक तथा पारम्परिक सार संक्षिप्त के काव्यगत दायित्व का निर्वाह ही अभीष्ट है। प्रथम पांडुलिपि तीन सौ तीस दोहा छन्द की स्वीकृति का कलेवर यथेष्ठ हष्ट पुष्ट न होने का परिणाम, प्रस्तुत ग्यारह सौ इकतीस के घोषित छन्दों से भी अतिरिक्त यह भरा पूरा प्रथम संस्करण सामाजिक परिवेष को भी यथोचित सैद्धान्तिक संबल दे सके तो यह निश्चय ही स्वीकृति की सफलता तथा सफलता की स्वीकृति होगी। तकनीकी ज्ञान के अभाव में मुद्रण हेतु पांडुलिपि तैयार करना आसान काम नहीं था प्रयास भी सफल नहीं हो पा रहे थे। तब इस कार्य को मेरी होनहार प्रपौत्री कु0 शिवानी ने अपने हाथ में लेकर जो उल्लेखनीय सहयोग किया उसके लिये अभिव्यक्ति नहीं, अनुभूति है जो अव्यक्त है, जिसमें उज्ज्वल भविष्य की ललक है। अन्त में धार्मिक, आध्यात्मिक, सामाजिक एवं लौकिक रीति नीति संबंधित भूले बिसरे मूल्यों, मान्यताओं को पुनर्भाषित करने वाले भाव भरे एक भी दोहा से सुधी पाठकगण यदि किंचित् मात्र भी संतुष्ट होंगे तो इसमें अपने प्रयास को सार्थक समझूंगा। विजय बहादुर पटैरिया ‘बेताब’ कुलपहाड़, महोबा, उ.प्र.
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-39-176521-1 |
Number of Pages | 120 |
Publication Year | 2021 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-91765-21-7 |
Binding | paperback |
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